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सदा रहोगी
नरेन् कुमार पंचभाया
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सदा रहोगी
नरेन् कुमार पंचभाया
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मुझे पता नहीं तुम्हें तोहफे में
एक ताजमहल देने की
क़ाबलियत मुझमें है या नहीं,
पर वादा कर चुका हूँ
तुम्हें देने का।
तुम्हें देने का।
वादा टूटेगा या
सलामत रहेगा
यह तो मेरी किस्मत की
लकीरों को ही पता होगा,
पर मुझे इतना पता है कि
तुम सदा रहोगी
मेरे दिल की धड़कनों में
मुमताज़ बनकर।
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(ओडिया में काव्य रचना करनेवाले नरेन् जी द्वारा लिखित प्रथम हिंदी कविता)*
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