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गुरुवार, 14 नवंबर 2013

chhand salila: achal chhand -sanjiv


छंद सलिला:                                                                                             अचल छंद                                                                                                  संजीव
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अपने नाम के अनुरूप इस छंद में निर्धारित से विचलन की सम्भावना नहीं है. यह मात्रिक सह वर्णिक छंद है. इस चतुष्पदिक छंद का हर पद २७ मात्राओं तथा १८ वर्णों का होता है. हर पद (पंक्ति) में ५-६-७ वर्णों पर यति इस प्रकार है कि यह यति क्रमशः ८-८-११ मात्राओं पर भी होती है. मात्रिक तथा वार्णिक विचलन न होने के कारण इसे अचल छंद कहा गया होगा। छंद प्रभाकर तथा छंद क्षीरधि में दिए गए उदाहरणों में मात्रा बाँट १२१२२/१२१११२/२११२२२१ रखी गयी है. 
तदनुसार

सुपात्र खोजे, तभी समय दे, मौन पताका हाथ.

कुपात्र पाये, कभी न पद- दे, शोक सभी को नाथ..

कभी नवायें, न शीश अपना, छूट रहा हो साथ.

करें विदा क्यों, सदा सजल हो, नैन- न छोड़ें हाथ..

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वर्ण तथा मात्रा बंधन यथावत रखते हुए मात्रा बाँट में परिवर्तन करने से इस छंद में प्रयोग की विपुल सम्भावनाएँ हैं.

मौन पियेगा, ऊग सूर्य जब, आ अँधियारा नित्य.

तभी पुजेगा, शिवशंकर सा, युगों युगों आदित्य..

चन्द्र न पाये, मान सूर्य सम, ले उजियारा दान-

इसीलिये तारक भी नभ में, करें न उसका मान..

इस तरह के परिवर्तन किये जाएं या नहीं? विद्वज्जनों के अभिमत आमंत्रित हैं.

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