कुल पेज दृश्य

शुक्रवार, 13 सितंबर 2013

kundali: hindi ki jay -sanjiv

संजीव 'सलिल'
कुंडली (कुंडलिनी) छंद :.


*

http://kundalinidotorg.files.wordpress.com/2013/08/kundalini-energy-rising-cmanin20131.jpg 

कुण्डलिनी चक्र आधारभूत ऊर्जा को जागृत कर ऊर्ध्वमुखी करता है. कुण्डलिनी छंद एक कथ्य से प्रारंभ होकर सहायक तथ्य प्रस्तुत करते हुए उसे अंतिम रूप से स्थापित करता है.

http://hindijyotish.com/thumbnail.php?file=kalsarp_yoga_321244142.jpg&size=article_medium 
नाग के बैठने की मुद्रा को कुंडली मारकर बैठना कहा जाता है. इसका भावार्थ जमकर या स्थिर होकर बैठना है. इस मुद्रा में सर्प का मुख और पूंछ आस-पास होती है. इस गुण के आधार पर कुण्डलिनी छंद बना है जिसके आदि-अंत में एक समान शब्द या शब्द समूह होता है. 

 
कुंडली की प्रथम दो पंक्तिया दोहा तथा शेष चार रोला छंद में होती हैं.दोहा का अंतिम चरण रोल का प्रथम चरण होता है. हिंदी दिवस पर प्रस्तुत हैं कुंडली छंद-  

हिंदी की जय बोलिए, उर्दू से कर प्रीत 

अंग्रेजी को जानिए, दिव्य संस्कृत रीत 
दिव्य संस्कृत रीत, तमिल-तेलुगु अपनायें
गुजराती कश्मीरी असमी, अवधी गायें 
बाङ्ग्ला सिन्धी उड़िया, 'सलिल' मराठी मधुमय 
बृज मलयालम कन्नड़ बोलें हिंदी की जय
*
हिंदी की जय बोलिए, हो हिंदीमय आप.
हिंदी में नित कार्य कर, सकें विश्व में व्याप..
सकें विश्व में व्याप, नाप लें समुद ज्ञान का.
नहीं व्यक्ति का, बिंदु 'सलिल' राष्ट्रीय आन का..
नेह-नरमदा नहा, बोलिए होकर निर्भय.
दिग्दिगंत में गूँज उठे, फिर हिंदी की जय..
*

हिंदी की जय बोलिए, तज विरोध-विद्वेष 
विश्व नीड़ लें मान तो, अंतर रहे न शेष 
अंतर रहे न शेष, स्वच्छ अंतर्मन रखिए 
जगवाणी हिंदी अपनाकर, नव सुख गहिए 
धरती माता के माथे पर, शोभित बिंदी 
मूक हुए 'संजीव', बोल-अपनाकर हिंदी 
***
 

2 टिप्‍पणियां:

बेनामी ने कहा…

सुंदर हलचल....

क्या बतलाऊँ अपना परिचय ..... - हिंदी ब्लॉगर्स चौपाल - अंकः004

थोडी सी सावधानी रखे और हैकिंग से बचे

lavanyashah@yahoo.com ने कहा…

LL lavanyashah@yahoo.com



बप्पा गणपति की जय जय
और आचार्य वर
आशा है आप गणेश जी की कृपा से स्वाथ्य लाभ प्राप्त कर रहे हैं
सादर
- लावण्या

Nameste
http://lavanyam-antarman.blogspot.com/