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शनिवार, 26 मई 2012

मुक्तिका: कुशलता से... --संजीव 'सलिल'

मुक्तिका:
कुशलता से...
संजीव 'सलिल'
*

*
कुशलता से मैं यहाँ हूँ, कुशलता से आप हों.
कोशिशों की सुमिरनी ले, सफलता के जाप हों.

जमाना कुछ भी कहे, हो राह कितनी भी कठिन.
कदम हों मजबूत ऐसे, मंजिलों के नाप हों..

अहल्या शुचिता से यदि, टकराये कोई इन्द्र तो.
मेट कोई भी न पाये, आप ऐसे शाप हों..

सियासत लंका दशानन भ्रष्ट नेता मुख अनेक.
चुनावी रण राम, हम मतदान शर, मत चाप हों.. 

खुले खिड़की दिमागों की, हवा ताज़ी आ सके.
बंद दरवाज़ा न दिल का कीजिए, मत खाप हों..

पोछ लें आँसू किसी की आँख का- पूजा यही.
आत्म हो परमात्मपूजक, ना तिलक ना छाप हों..

संकटों के नगाड़े हों सामने तो मत डरो.
हौसलों की हथेली, संकल्प की शत थाप हों..

नियम-पालन का हवन, संतोष की करिए कथा.
दूसरों का प्राप्य पाने का 'सलिल' मत पाप हों..
************
Acharya Sanjiv verma 'Salil'
http://divyanarmada.blogspot.com
http://hindihindi.in

7 टिप्‍पणियां:

achal verma ✆ekavita ने कहा…

achal verma ✆ekavita

सियासत लंका दशानन भ्रष्ट नेता मुख अनेक.
चुनावी रण राम, हम मतदान शर, मत चाप हों

आपकी कविता में इस पंक्ति पर नजर गई और
मन मुग्ध हो गया उपमाओं की शोभा निरख कर।
बहुत ही सटीक और समयानुसार ।
अचल वर्मा

sn Sharma ✆ ahutee@gmail.com ने कहा…

sn Sharma ✆ ahutee@gmail.com द्वारा yahoogroups.com kavyadhara


आ० आचार्य जी,
कुशल का वरण करने की दिशा में प्रेरणादायक दोहों के लिये नमन | सार्थक प्रतिमानों से अलंकृत दोहे विशेष मन भाये -

अहल्या शुचिता से यदि, टकराये कोई इन्द्र तो
मेट कोई भी न पाये, आप ऐसे शाप हों..

सियासत लंका दशानन भ्रष्ट नेता मुख अनेक.
चुनावी रण राम, हम मतदान शर, मत चाप हों..
सादर
कमल

pradeep agrawal ने कहा…

wishing for everyone success in life.good meaningful poetry,motivating .Tough to understand but good
thanks

Mahipal Singh Tomar ✆ ने कहा…

mstsagar@gmail.com द्वारा yahoogroups.com ekavita


एक शानदार ,जानदार ,सलोनी अभिव्यक्ति के लिए हार्दिक बधाई ,
सलिल जी ,
सादर ,

Dr.M.C. Gupta ✆ ने कहा…

mcgupta44@gmail.com द्वारा yahoogroups.com ekavita


आचार्य जी,

श्री सूर्यमंडलाष्टकं का हिंदी काव्यानुवाद पढ़ा.

भारतीय ज्ञान, दर्शन एवं संस्कृति की विशद सम्पदा को संस्कृत-हिंदी काव्यानुवाद के माध्यम से जन-साधारण तक पहुँचाना अपने आप में एक दुर्गम और महती कार्य है. आप इस दिशा में कृत-संकल्प हैं, अत: पूजनीय हैं. ईश्वर आपकी आयु और सामर्थ्य में वृद्धि करें.

--ख़लिश

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(Ex)Prof. M C Gupta
MD (Medicine), MPH, LL.M.,
Advocate & Medico-legal Consultant
www.writing.com/authors/mcgupta44

- shishirsarabhai@yahoo.com ने कहा…

आपकी लेखनी को नमन !
सादर,
शिशिर

- shishirsarabhai@yahoo.com ने कहा…

आपकी लेखनी को नमन !
सादर,
शिशिर