विशेष रचना:
नौ का महत्त्व
संतोष भाऊवाला
विश्व के समस्त पदार्थों में जैसे, ब्रह्म एकरस आप्त
वैसे अंक नौ सर्वत्र ह्रास -वृद्धि रहित , एक सा ब्याप्त
नौ का गुणन करने पर भी रहता ज्यों का त्योंही
इसका सम्पूर्ण पहाडा रहे,आदि से अंत तक वही
आठ के अंक में जब एक अंक और होता संयुक्त
नौ का रूप धारण कर ह्रास वृद्धि से होता मुक्त
अंक आठ माया स्वरुप ,जब हो माया ब्रह्म में लीन
स्वरुप खोकर होती विलीन, घटना बढ़ना होता क्षीण
नवग्रह ,नौ छंद,नौ रस,नौ दुर्गा, नौ नाडी,नौ हव्य,
नौ सिद्धि, नौ निधि ,नौ रत्न, नौ छवि ,नौ द्रव्य
तुलसी नौ की महिमा की तुलना करे श्री राम संग
आदि अंत नीरबाहिये, अंक नौ करे ना नियम भंग
- नवधा भक्ति: श्रवण, कीर्तन, स्मरण, पादसेवन, अर्चन, वंदन, दास्य, सख्य, आत्मनिवेदन
- नौ सिद्धि: ब्राह्मी, वैष्णवी, रौद्री, माहेश्वरी, नारसिंही, वाराही, इन्द्रानी, कार्तिकी, सर्वमंगला
- नौ निधि: पद्म, महापद्म, शंख, मकर, कच्छप, मुकुंद, कुंद, नील, ख़राब
- नौ रत्न: मानिक, मोती, मूंगा, वैदूर्य ,गोमेद, हीरा, पद्मराग, पन्ना, नीलम
- नौ दुर्गा: शैलपुत्री, ब्रह्मचारिणी, चंद्रघंटा, कूष्मांडा, स्कंदमाता, कात्यायनी, कालरात्रि, महागौरी, सिद्धिदात्री
- नौ गृह: सूर्य, चन्द्रमा, भौम, बुध, गुरु, शुक्र, शनि, राहु, केतु
- नौ छंद: दोहा, सोरठा, चौपाई, हरिगीतिका, त्रिभंगी, नाग स्वरुपिनी, तोमर, भुजंग प्रयात, तोटक
- नौ छवि: द्युति, लावण्य, स्वरूप, सुंदर, रमणीय, कांटी, मधुर, मृदु, सुकुमार
- नौ द्रव्य: पृथ्वी, जल, तेज, वायु, नभ, काल, दिक्, आत्म, मन
- काव्य शास्त्र के नौ रस: श्रृंगार, हास्य, करुण, रौद्र, वीर, भयानक, वीभत्स, अद्भुत, शांत
- नौ हव्य: घृत, दुग्ध, दधि, मधु, चीनी, तिल, चावल, यव, मेवा
- नौ नाडी: इडा, पिंगला, सुषुम्ना, गांधारी, गज, जिम्हा, पुष्प, प्रसादा, शनि, शंखिनी
- पृथवी के नौ खंड: किम्पुरुष, इलावृत, रम्यक, हिरंमय, कुरु, हरी, भारत, केतुमाल, भाद्रक्ष
- शरीर के नौ द्वार ...दो नेत्र, दो नाक, दो कान, मुख, गुदा, उपस्थ
- विक्रमादित्य के नवरत्न: क्षपणक, अमर सिंह, शंकु, वेताल भट्ट, घटखर्पर, कालिदास, वराह मिहिर, धन्वन्तरी, वररूचि.९ से संबंधित कुछ और जानकारी:
-- नौकडा: ९ कौड़ियों से तीन व्यक्तियों द्वारा खेला जानेवाला जुआ.
-- नौगजी: स्त्रियों द्वारा पहने जाने वाली ९ गज की साड़ी.
-- नौगही: ९ रत्नों वाला हार.
-- नौ दसी: क़र्ज़ की विधि जिसमें ९ लेकर १० चुकाना होता है.
-- नौनगा: ९ नग जड़ा हाथ में पहनने का कंगन.
-- नौमासा: गर्भाधान के ९ वें माह में की जानेवाली रस्म जिसमें स्त्री के अंचल में मिठाई आदि भरी तथा बांटी जाती है.
-- नौलखा: ९ लाख रुपये कीमत का हार.
-- नौ सरा: ९ लड़ियोंवाली माला.
-- नौतोड़ : पहली बार जोता गया खेत.
-- नौबढ़ : बुरी स्थिति से एकाएक अच्छी दशा को प्राप्त व्यक्ति.
-- नौसिखिया: नया-नया सीख हुआ, आधा-अधूरा सीखा हुआ.
-- नौचंदा: चाँद से दूसरा दिन.
-- नौचंदी : चाँद से प्रारंभ माहों की पहली जुमेरात.
-- नौजवान: नवयुवक.
-- नौनिहाल: होनहार युवक.
-- नौबरार: पहली बार लगन लगी जमीं.
-- नौबाला: अभी-अभी बालिग हुई कन्या.
-- नौरोज़: पारसी वर्ष का पहला दिन.
-- नौशाहाना: दूल्हे के जैसा.
-- नौशा: दूल्हा.
-- नौशी: दुल्हन.
-- नौकर: सेवक.
-- नौकरानी: सेविका.
-- नौकरशाही: सेवकों से संचालित शासन.
-- नौका: नाव.
-- नौची: तवायफ की पट्टशिष्या जिसे वह अपना फन सिखाती है.
-- नौजा: बादाम / चिलगोजा.
-- नौजी: लीची.
-- नौटंकी: एक लोक नाट्य.
-- नौतन: अनाड़ी. तुम सतगुरु मैं नौतन चेला- कबीर.
-- नौता: न्योता, आमंत्रण.
-- नौना: नम्र/ सुंदर.
-- नौबत: दशा / नगाड़ा.
-- नौबती: नौबत बजानेवाला.
-- नौरंगी: नारंगी.
-- नौमी: नवमी तिथि. नौमी तिथि नाधू नास पुनीता- तुलसी
-- नौशेरवां: ईसा की छठवीं सदी में फारस का लोकप्रिय बध्सः.
-- नौसादर: एक प्रकार का क्षार.
-- नौहा: कर्बला के शहीदों पर रचित शोकगीत.
-- नौरात: नव रात्रि.
-- नौरन्ध्र / नौद्वार: २ आँख, २ कान, नाक, मुख, लिंग/योनी, गुदा.
(दसवां द्वार:ब्रम्हद्वार )
-- नौ कुमारी: कल्याणी, काली, कुमारिका, चण्डिका, त्रिमूर्ति, दुर्गा, रोहिणी, शांभवी, सुभद्रा.
-- नौकन्या: ब्राम्हणी, कापालिकी, ग्वालिन, धोबिन, नटी, नाइन, मालिन, वैश्या, शूद्रा.
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