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मंगलवार, 9 अगस्त 2022

बाल सॉनेट,तिरंगा,मुक्तक,नवगीत,

बाल सॉनेट 
तिरंगा
ध्वजा तिरंगा सबसे प्यारी
सभी ध्वजाओं में यह न्यारी
सबसे ऊपर केसरिया है
देश हेतु ही जन्म लिया है

कहे सफेद शांति से रहिए 
हरा कहे हरियाली करिए
चका कह रहा मेहनत करना
डंडा कहे न अरि से डरना

रस्सी कहे हमेशा साथ
रहना हाथों में ले हाथ 
झंडा फहरा, करो प्रणाम 
पौध लगा सींचो हर शाम

सुबह शाम नित करो पढ़ाई 
सबसे तब ही मिले बड़ाई
९-८-२०२२
•••

***
मुक्तक
आशा कुसुम, लता कोशिश पर खिलते हैं
सलिल तीर पर, हँस मन से मन मिलते हैं
नातों की नौका, खेते रह बिना थके-
लहरों जैसे बिछुड़-बिछुड़ हम मिलते हैं
*
पाठ जब हमको पढ़ाती जिंदगी।
तब न किंचित मुस्कुराती जिंदगी।
थाम कर आगे बढ़ाती प्यार से-
'सलिल' मन को तब सुहाती जिंदगी.
*
केवल प्रसाद सत्य है, बाकी तो कथा है
हर कथा का भू-बीज मिला, हर्ष-व्यथा है
फैला सको अँजुरी, तभी प्रसाद मिलेगा
पी ले 'सलिल' चुल्लू में यही सार-तथा है
तथा = तथ्य,
प्रयोग: कथा तथा = कथा का सार
*
आँखों में जिज्ञासा, आमंत्रण या वर्जन?
मौन धरे अधरों ने पैदा की है उलझन
धनुष भौंह पर तीर दृष्टि के चढ़े हुए हैं-
नागिन लट मोहे, भयभीत करे कर नर्तन
*
वही अचल हो सचल समूची सृष्टि रच रहा
कण-कणवासी किन्तु दृष्टि से सदा बच रहा
आँख खोजती बाहर वह भीतर पैठा है
आप नाचता और आप ही आप नच रहा
*
श्री प्रकाश पा पाँव पलोट रहा राधा के
बन महेश-सिर-चंद्र, पाश काटे बाधा के
नभ तारे राकेश धरा भू वज्र कुसुम वह-
तर्क-वितर्क-कुतर्क काट-सुनता व्याधा के
*
राम सुसाइड करें, कृष्ण का मर्डर होता
ईसा बन अपना सलीब वह खुद ही ढोता
आतंकी जब-जब जय बोलें तब भी वह ही 
बेबस बेकस छिपकर अपने नयन भिगोता
*
पाप-पुण्य क्या? सब कर्मों का फल मिलना है
मुरझाने के पहले जी भरकर खिलना है
'सलिल' शब्द-लहरों में डूबा-उतराता है
जड़ चेतन होना चाहे तो खुद हिलना है
९-८-२०१७
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नवगीत:
*
दुनिया रंग रँगीली
बाबा
दुनिया रंग रँगीली रे!
*
धर्म हुआ व्यापार है
नेता रँगा सियार है
साध्वी करती नौटंकी
सेठ बना बटमार है
मैया छैल-छबीली
बाबा
दागी गंज-पतीली रे!
*
संसद में तकरार है
झूठा हर इकरार है
नित बढ़ते अपराध यहाँ
पुलिस भ्रष्ट-लाचार है
नैतिकता है ढीली
बाबा
विधि-माचिस है सीली रे!
*
टूट रहा घर-द्वार है
झूठों का सत्कार है
मानवतावादी भटके
आतंकी से प्यार है
निष्ठां हुई रसीली
बाबा
आस्था हुई नशीली रे!
९-८-२०१५
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