अभिनव प्रयोग
(संरचना सॉनेट, छंद हरिगीतिका)
हरतालिका
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हरतालिका व्रत जो करे, शिव की कृपा उसको मिले
मन चाहता जिसको वही, हर जन्म में मनमीत हो
खुश हों उमा गणदेव भी, तन स्वस्थ हो मन भी खिले
व्रत कीजिए शुभकामना रख, प्रीत की तब जीत हो
कर थामिए जिसका उसे, कर दें थमा रख साथ में
जल पीजिए; मत पीजिए पर याद प्रभु को कीजिए
पग साथ ही रखिए सदा, हँस हाथ भी रख हाथ में
मन में रखें शुभ भावना, नित प्रेम रस में भीजिए
मतभेद दे तज द्वैत भी; रख ऐक्य भाव सदा सखे!
कुछ ऊँच हो; कुछ नीच हो, कुछ धूप हो; कुछ छाँव हो
यह प्रार्थना प्रभु जी सुनें, नित साथ ही हमको रखे
कुछ हो; न हो; मन में सदा, शिव औ' शिवा तव ठाँव हो
जब हों बिदा; तन से जुदा, भव को तजें हम नाथ हे!
तब आइए इस आत्म को, परमात्म लें हँस साथ में
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