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रविवार, 16 जनवरी 2022

सॉनेट

सॉनेट 
राम-श्याम
*
राम-राम जप जग तरे 
जिए कहे जय राम जी 
सिया-राम-पग सर धरे 
भव तारे यह नाम जी 

श्याम सरस लीला करे
नटखट माखनचोर बन 
मित्रों की पीड़ा हरे 
छत्र सदृश घनश्याम तन 

राम-श्याम दोउ एक हैं 
भिन्न नहीं जानो इन्हें 
कारज करते नेक हैं 
सब अपना मानो इन्हें 

हरते सभी अनिष्ट हैं  
दोनों जनगण इष्ट हैं। 
१६-१-२०२२  
*** 
सॉनेट 
मानस-गीता 
*
मानस कहती धर्म राह चल 
गीता कहती कर्म नहीं तज 
यह रखती मर्यादा पल-पल 
वह कहती मत स्वार्थ कभी भज 

इसमें लोक शक्ति हो जाग्रत 
उसमें राजशक्ति निर्णायक 
इसमें सत्ता जन पर आश्रित 
उसमें सत्ता बनी नियामक 

इसका नायक है पुरुषोत्तम
प्रतिनायक विद्वान् धीर है  
उसका नायक है रसिकोत्तम 
प्रतिनायक क्रोधी; अधीर है 

सीख मिले दोनों से एक 
विजयी होता सत्य-विवेक 
१६-१-२०२२ 
***  
सॉनेट 
मानस
*
भक्ति करो निष्काम रह
प्रभु चरणों में समर्पित 
हर पल मन जय राम कह
लोभ मोह मद कर विजित।

सत्ता जन सेवा करे
रहे वीतरागी सदा
जुमलाबाजी मत करे
रहे न नृप खुद पर फिदा।

वरण धर्म पथ का करो
जनगण की बाधा हरो।
१६-१-२०२२
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सॉनेट 
गीता
*
जो बीता वह भुलाकर
जो आगत वह सोच रे,
रख मत किंचित लोच रे! 
कर्म करो फल भुलाकर।

क्या लाए जो खो सके?
क्या जाएगा साथ रे?
डर मत, झुका न माथ रे!
काल न रोके से रुके।

कौन यहाँ किसका सगा?
कर विश्वास मिले दगा
जीव मोह में है पगा।

त्याग न लज्जा, शर्म कर,
निर्भय रहकर कर्म कर 
चलो हमेशा धर्म पर।
१६-१-२०२२
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