सॉनेट
सुभाष
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नरनाहर शार्दूल था, भारत माँ का लाल।
आजादी का पहरुआ, परचम बना सुभाष।
जान हथेली पर लिए, ऊँचा रख निज भाल।।
मृत्युंजय है अमर यश, कीर्ति छुए आकाश।।
जीवन का उद्देश्य था, हिंद करें आजाद।
शत्रु शत्रु का मित्र कह, उन्हें ले लिया साथ।
जैसे भी हो कर सकें, दुश्मन को बर्बाद।।
नीति-रीति चाणक्य की, झुके न अपना माथ।।
नियति नटी से जूझकर, लिखा नया इतिहास।
काम किया निष्काम हर, कर्मयोग हृद धार।
बाकी नायक खास थे, तुम थे खासमखास।।
ख्वाब तुम्हारे करें हम, मिल-जुलकर साकार।।
आजादी की चेतना, तुममें थी जीवंत।
तुम जैसा दूजा नहीं, योद्धा नायक संत।।
२३-१-२०२२
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