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रविवार, 8 अगस्त 2021

सुषमा स्वराज

 भावांजलि

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शारद सुता विदा हुई, माँ शारद के लोक
धरती माँ व्याकुल हुई, चाह न सकती रोक
*
सुषमा से सुषमा मिली, कमल खिला अनमोल
मानवता का पढ़ सकीं, थीं तुम ही भूगोल
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हर पीड़ित की मदद कर, रचा नया इतिहास
सुषमा नारी शक्ति का, करा सकीं आभास
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पा सुराज लेकर विदा, है स्वराज इतिहास
सब स्वराज हित ही जिएँ, निश-दिन किए प्रयास
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राजनीति में विमलता, विहँस करी साकार
ओजस्वी वक्तव्य से, दे ममता कर वार
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वाक् कला पटु ही नहीं, कौशल का पर्याय
लिखे कुशलता के कई, कौशलमय अध्याय
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राजनीति को दे दिया, सुषमामय आयाम
भुला न सकता देश यह, अमर तुम्हारा नाम
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शब्द-शब्द अंगार था, शीतल सलिल-फुहार
नवरस का आगार तुम, अरि-हित घातक वार
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कर्म-कुशलता के कई, मानक रचे अनन्य
सुषमा जी शत-शत नमन, पाकर जनगण धन्य
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शब्दों को संजीव कर, फूँके उनमें प्राण
दल-हित से जन-हित सधे, लोकतंत्र संप्राण
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महिमामयी महीयसी, जैसा शुचि व्यक्तित्व
फिर आओ झट लौटकर, रटने नव भवितव्य
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चिर अभिलाषा पूर्ति से, होकर परम प्रसन्न
निबल देह तुमने तजी, हम हो गए विपन्न
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युग तुमसे ले प्रेरणा, रखे लक्ष्य पर दृष्टि
परमेश्वर फिर-फिर रचे, नव सुषमामय सृष्टि
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संजीव
७-८-२०१९

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