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गुरुवार, 5 अगस्त 2021

मुक्तिका

मुक्तिका
बिन सपनों के सोना क्या
बिन आँसू के रोना क्या
*
वह मुस्काई, मुझे लगा
करती जादू-टोना क्या
*
नहीं वफा जिसमें उसकी
खातिर नयन भिगोना क्या
*
दाने चार न चाँवल के
मूषक तके भगोना क्या
*
सेठ जमीनें हड़प रहे
जानें फसलें बोना क्या
*
गिरती हो जब सर पर छत
सोच न घर का खोना क्या
*
जीव न यदि 'संजीव' रहे
फिर होना-अनहोना क्या
*

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