आजादी का अमृत महोत्सव १
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दांडी मार्च साबरमती
भारत का प्रगति गान
आचार्य संजीव वर्मा 'सलिल'
ॐ
अगिन नमन गणतंत्र महान,
जनगण गाए मंगलगान।
अमृत महोत्सव स्वतंत्रता का
महके लोकतंत्र उद्यान।।
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दसों दिशाएँ लिए आरती,
नजर उतारे मातु भारती।
भारत वर्ष बन रहा जगगुरु
नेह नर्मदा पुलक तारती। ।
नीलगगन विस्तीर्ण वितान
अगिन नमन गणतंत्र महान
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ध्वजा तिरंगी फहरा फरफर,
जनगण की जय बोले फिर फिर।
इसरो रवि बन नापे नभ नित
तम घिर विकल न हो मन्वन्तर।।
सत्-शिव-सुंदर मूल्य महान
अगिन नमन गणतंत्र महान
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नीव सुदृढ़ मजदूर-किसान,
रक्षक हैं सैनिक बलवान।
अभियंता निर्माण करें नव-
मूल्य सनातन गढ़ इंसान।।
सत्साहित्य रचें रस-खान
अगिन नमन गणतंत्र महान
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केसरिया बलिदान-क्रांति है,
श्वेत स्नेह सद्भाव शांति है।
हरी जनाकांक्षा नव सपने-
नील चक्र निर्मूल भ्रांति है।।
रज्जु बंध, निर्बंध उड़ान
अगिन नमन गणतंत्र महान
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कंकर हैं शंकर बन पाएँ
मानवता की जय जय गाएँ
अडिग अथक निष्काम काम कर
बिंदु सिंधु बनकर लहराएँ
करे समय अपना जयगान
अगिन नमन गणतंत्र महान
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