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रविवार, 19 जुलाई 2020

बुन्देली मुक्तिका: बात नें करियो

बुन्देली मुक्तिका:
बात नें करियो
संजीव
*
बात नें करियो तनातनी की.
चाल नें चलियो ठनाठनी की..
होस जोस मां गंवा नें दइयो
बाँह नें गहियो हनाहनी की..
जड़ जमीन मां हों बरगद सी
जी न जिंदगी बना-बनी की..
घर नें बोलियों तें मकान सें
अगर न बोली धना-धनी की..
सरहद पे दुसमन सें कहियो
रीत हमारी दना-दनी की..
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१६-५-२०१३ 
Sanjiv verma 'Salil'
salil.sanjiv@gmail.com

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