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शुक्रवार, 24 जुलाई 2020

मुक्तक

मुक्तक
मुक्तक
स्वप्न दिखा, लापता राम जी
कर बिसरा दें, ख़ता राम जी
देख मुसीबत, सीता पीछे
छिप जाते हैं, सता राम जी
*
कही सुनी हो माफ़ राम जी
बचा रहे इंसाफ़ राम जी
मिले मौत को मौत न क्यों अब?
हो न ज़िन्दगी भाप राम जी
*
जीत हार है भाग खेल का शुभ प्रभात
है विराग अनुराग ज़िन्दगी शुभ प्रभात
दीन बंधु बन करो बन्दगी शुभ प्रभात
देश हरा रख बोलो हिन्दी शुभ प्रभात

*
२४-७-२०१७ 

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