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गुरुवार, 12 दिसंबर 2019

डॉ. ब्रह्मजीत गौतम

डॉ. ब्रह्मजीत गौतम














आत्मज - स्व. गोपिका - स्व. रोशनलाल गौतम।
जीवन संगिनी - स्व. विरमादेवी गौतम।
जन्म - २८ अक्टूबर १९४०, गढ़ी नन्दू, जिला – मथुरा (उ.प्र.)।
शिक्षा - एम. ए., पी-एच. डी.।
संप्रति - से.नि. प्राध्यापक हिंदी  उच्च शिक्षा विभाग  म.प्र. शासन, स्वतंत्र लेखन।
प्रकाशन - १. कबीर-काव्य में प्रतीक-विधान (शोध ग्रंथ), २. कबीर-प्रतीक-कोश (कोश ग्रंथ), ३. अंजुरी (काव्य-संग्रह) पुरस्कृत, ४ जनक छन्दः एक शोधपरक विवेचन (शोध पुस्तक) पुरस्कृत, ५. वक़्त के मंज़र (ग़ज़ल-संग्रह), ६. जनक छन्द की साधना (जनक छन्द संग्रह), ७. दोहा-मुक्तक-माल (मुक्तक-संग्रह), ८. दृष्टिकोण (समीक्षा- संग्रह), ९. एक बह्र पर एक ग़ज़ल (ग़ज़ल-संग्रह) पुरस्कृत, १०. दोहे पानीदार (दोहा-संग्रह), रेडिओ नाटक वार्ता, झलकी आदि।
उपलब्धि - अनेक साहित्यिक सम्मान।
सम्पर्क - युक्का २०६, पैरामाउण्ट सिम्फनी, क्रॉसिंग रिपब्लिक, ग़ाज़ियाबाद २०१०१६ उ. प्र.।
चलभाष ०९७६०००७८३८, ०९४२५१०२१५४०, ई-मेल bjgautam2007@gmail.com ।
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जय माँ देवि सरस्वती! नत है मेरा भाल
अर्पित है तेरे लिए, यह पूजा का थाल
तूने ही मुझको दिए, यह बहु भाव प्रसून
जिन्हें पिरोकर शुचि बनी, दोहा मुक्तक माल

हे माँ देवि सरस्वती! दे ऐसा वरदान
सबको सुख यश तृप्ति दे, मेरा काव्य-स्नान
अक्षर-अक्षर पूत हो, शब्द-शब्द हो स्निग्ध
हो मेरे कवी-कर्म से राष्ट्र-धर्म-उत्थान

नहीं चाहिए विभव बल, नहीं कीर्ति अवदान
दान-पुण्य कर मुक्ति का, नहीं तनिक भी ध्यान
मेरे रचनाकर्म को, दे माँ ऐसी शक्ति
सर्व धर्म समभाव का, गूँजे मंगल गान

वर दे वीणावादिनी! कुछ ऐसा अनुकूल
मेरी कविता से झरें, राष्ट्रवाद के फूल
ऊँच-नीच अलगाव के, दूर सभी हों भाव
बच्चा-बच्चा देश-हित, बन जाए शार्दूल

हे माता ममतामयी! तेरी कृपा अतर्क
तू चाहे तो मूढ़ में, उगे ज्ञान का अर्क
अंश मात्र तेरी कृपा, मिले मुझे हे देवि!
मेरे खारे बोल भी, हो जाएँ मधुपर्क

अंब पद्म की गंध दे, वीणा की झंकार
अपने श्वेत दुकूल की, दे दे मंद बयार
तेरे उज्ज्वल हार की, मिल जाए यदि कांति
माँ मेरी कविता बने, रसिकों का श्रृंगार
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