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बुधवार, 18 दिसंबर 2019

नवगीत

एक रचना 
*
हम जो कहते 
हम जो करते 
वही ठीक है मानो 
*
जंगल में जनतंत्र तभी 
जब तंत्र बन सके राजा। 
जन की जान रखे मुट्ठी में 
पीट बजाये बाजा। 
शिक्षालय हो या कार्यालय 
कभी शीश मत तानो 
*
लोकतंत्र में जान लोक की
तंत्र जब रुचे ले ले। 
जन प्रतिनिधि ऐय्याश लोक की 
इज्जत से हँस खेले।  
मत विरोध कर रहो समर्पित 
सेवा में सुख जानो 
*
प्रजा तंत्र में प्रजा सराहे 
किस्मत अन्न उगाये। 
तंत्र कोठियों में भर बेचे 
दो के बीस बनाये। 
अफसरशाही की जय बोलो 
उन्हें ईश पहचानो 
*
गण पर चलती गन को पूजो 
भव से तुम्हें उबारे। 
धन्य झुपड़िया राजमार्ग हित 
प्रभु यदि तोड़ उखाड़े। 
फैक्ट्री तान सेठ जी कृषकों 
तारें सुयश बखानो 
***
संजीव 

१८-१२-२०१९      
   

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