कुल पेज दृश्य

गुरुवार, 26 दिसंबर 2019

अभियान ७-८ दिसंबर २०१९

ॐ 
'कवि युगदृष्टा ही नहीं युग सृष्टा भी होता है' -संजीव 'सलिल'

चित्र में ये शामिल हो सकता है: 5 लोग, Avinash Beohar सहित, लोग बैठ रहे हैं

              जबलपुर ७-८ दिसंबर २०१९। विश्ववाणी हिंदी संस्थान जबलपुर तथा विश्वरंग भोपाल के संयुक्त तत्वावधान में दो दिवसीय साहित्य संगोष्ठियों का आयोजन विजय अपार्टमेंट, नेपियर टाउन स्थित संस्थान-पुस्तकालय में संपन्न हुआ।  प्रथम दिवस नवगीत विषयक विमर्श के मुख्य वक्ता  ख्यात समालोचक डॉ. रामसनेही लाल शर्मा फ़िरोज़ाबाद ने लोक जीवन में गीत के उद्भव, विकास, वर्तमान परिप्रेक्ष्य में प्रासंगिकता, देश-काल के अनुरूप गीत के कथ्य और शिल्प में परिवर्तन को इंगित करते हुए स्मृति शेष गीतर्षि देवेंद्र शर्मा 'इंद्र' के कथन "हर नवगीत होता है किंतु हर गीत नवगीत नहीं होता" का उलेखा करते हुए गीत को वैयक्तिक अनुभूति पर आश्रित तथा नवगीत को सामूहिक अनुभूति केंद्रित बताया। संस्थान के सभापति आचार्य संजीव वर्मा 'सलिल' की अध्यक्षता में संपन्न इस विमर्श में नवगीत लेखन में प्रविष्ट हो रहे रचनाकारों मिथलेश बड़गैया, विनीता श्रीवास्तव, संतोष शुक्ल, मीना भट्ट, राजलक्ष्मी शिवहरे, इंजी. सुरेंद्र पवार, इंजी. रामशंकर खरे आदि ने अपनी जिज्ञासा और प्रश्नों का समाधान प्राप्त किया। इस अवसर पर नवगीत संग्रहों 'सड़क पर' संजीव 'सलिल', 'शब्द वर्तमान' जयप्रकाश श्रीवास्तव, 'बुधिया लेता टोह' बसंत शर्मा, 'पोखर ठोंके दावा' अविनाश ब्योहार से नवगीतों का पाठ किया जाकर उनके कथ्य और शिल्प पर चर्चा की गयी। नवगीत समालोचक राधेश्याम बंधु दिल्ली ने नवगीत के तत्वों भाषा, बिम्ब, प्रतीक, मिथकीय प्रयोग आदि का सोदाहरण उल्लेख किया। अध्यक्षीय आसंदी से संबोधित करते हुए सलिल जी ने गीति काव्य के उद्भव, अवदान, स्वातंत्र्य प्राप्ति में योगदान का संकेत हुआ कहा कि कवि सामयिक घटनाओं का दर्शक मात्र नहीं अपितु भावी घटनाओं का नियामक भी होता है। आप्तकालीय परिस्थियों में दुष्यंत कुमार की रचनाओं के प्रभाव का संदर्भ देते हुए वक्त ने कहा कवी केवल युग दृष्टा नहीं युग सृष्टा भी होता है। संस्थान की स्थानीय इकाई अभियान के अध्यक्ष श्री बसंत शर्मा ने अतिथि स्वागत किया। आभार प्रदर्शन प्रचार सचिव श्री अविनाश ब्योहार ने किया। 

चित्र में ये शामिल हो सकता है: 1 व्यक्ति, बैठे हैं

           दूसरे दिन विश्ववाणी हिंदी संस्थान, अभियान जबलपुर तथा विश्वरंग भोपाल के संयुक्त तत्वावधान में संपन्न काव्य गोष्ठी में रवीन्द्रनाथ तिवारी लखनऊ, सुशील सरित आगरा, डॉ. शिवमंगल सिंह लखनऊ, डॉ. राम सनेही लाल शर्मा यायावर फ़िरोज़ाबाद, राधेश्याम बंधु दिल्ली, रामेश्वर शर्मा 'रामू भैया' कोटा, वीरेंद्र आस्तिक कानपुर के साथ स्थानीय कवियों आचार्य संजीव वर्मा 'सलिल', जयप्रकाश श्रीवास्तव, बसंत शर्मा, राजलक्ष्मी शिवहरे, संतोष शुक्ल, मिथलेश बड़गैया, विनीता श्रीवास्तव, अखिलेश खरे 'अखिल', अविनाश ब्योहार, सुरेंद्र पवार आदि ने काव्य पाठ किया। अतिथि कवियों ने संस्थान द्वारा हिंदी छंदों की कार्य शालाओं के नियमित आयोजनों, वॉट्सऐप तथा मुखपोथी (फेसबुक) आदि के माध्यम से श्रृंखला बद्ध शिक्षण की जानकारी पर प्रसन्नता व्यक्त करते हुए अपने सहयोग के प्रति आश्वस्त किया।  विश्वरंग भोपाल द्वारा आयोजित टैगोर अंतर्राष्ट्रीय साहित्य एवं कला महोत्सव की जानकारी अतिथियों को संजीव 'सलिल' द्वारा दी गयी। पहले पहल, नया ज्ञानोदय, इलेक्ट्रॉनिकी आपके लिए, कथादेश, हंस तथा अन्य पत्रिकाओं व् पुस्तकों का अवलोकन अतिथियों ने किया।  इन आयोजनों को सफल बनाने में सुश्री आशा वर्मा, प्रो। साधना वर्मा, प्रो. आर. एल. शिवहरे, इंजी. हीरालाल बड़गैया, इंजी. रामशंकर खरे, मन्वन्तर, आभार ज्ञापन मिथलेश बड़गैया ने किया। 
***  







    

कोई टिप्पणी नहीं: