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गुरुवार, 18 सितंबर 2014

navgeet: maan ji hain beemar -sanjiv

मातृदिवस पर 
नवगीत :
माँ जी हैं बीमार...
संजीव 'सलिल' 
*
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*
माँ जी हैं बीमार...
*
प्रभु! तुमने संसार बनाया.
संबंधों की है यह माया..
आज हुआ है वह हमको प्रिय 
जो था कल तक दूर-पराया..

पायी उससे ममता हमने-
प्रति पल नेह दुलार..
बोलो कैसे हमें चैन हो?
माँ जी हैं बीमार...
*
लायीं बहू पर बेटी माना.
दिल में, घर में दिया ठिकाना..
सौंप दिया अपना सुत हमको-
छिपा न रक्खा कोई खज़ाना. 

अब तो उनमें हमें हो रहे-
निज माँ के दीदार..
करूँ मनौती, कृपा करो प्रभु!
माँ जी हैं बीमार...
*
हाथ जोड़ कर करूँ वन्दना.
प्रभुजी! सुनिए नम्र प्रार्थना 
तन-मन से सेवा करती हूँ
सफल कीजिए सकल साधना..

चैन न लेने दूँगी, तुमको 
जग के तारणहार.
स्वास्थ्य लाभ दो मैया को हरि!
हों न कभी बीमार..
****
संदेश में फोटो देखें

10 टिप्‍पणियां:

ksantosh_45@yahoo.co.in ने कहा…

'ksantosh_45@yahoo.co.in'

बहू को सास माँ लगने लगे उस घर में क्लेश तो हो ही
नहीं सकती. वाह! सलिल जी़, सुन्दर रचना. बधाई.
सलिल जी चित्र डालना मुझे भी समझा दें तो मेहरबानी
होगी.
सन्तोष कुमार सिंह

Shriprakash Shukla wgcdrsps@gmail.com ने कहा…

Shriprakash Shukla wgcdrsps@gmail.com

आदरणीय आचार्य जी,

कथनी में तो ठीक नज़र आती है लेकिन आचरण में अभी तक तो नहीं देखी है संभवतः हो । रचना यदि कल्पना के आधार पर है तो बहुत सुन्दर है ।

सादर
श्री

achalkumar44@yahoo.com ने कहा…

achal verma achalkumar44@yahoo.com

आचार्य जी , आपकी ये रचना मन को बहुत भाई |



"स्नेह रहे दुनिया में सबसे , वर दो कृष्ण मुरारी

आये थे जब हम इस जग में रोना आया भारी

सबने पहचाना था हमको तब यह बात बिचारी

जग में नहीं पराया कोई , सब तो हैं संसारी ||"......अचल

pranavabharti@gmail.com ने कहा…

Pranava Bharti pranavabharti@gmail.com

अ. आचार्य जी
स्वर्ग बने हर घर यदि
रहें यही उदगार,
बहे स्नेह की धार और
मुस्काए घर-बार ॥
सुन्दर संवेदनाएं
सादर
प्रणव

sanjiv ने कहा…

उत्साहवर्धन हेतु आभार।
गूगल सर्च में चित्र ऑप्शन चुनकर विषय डालें तो कई चित्र खुल जाते हैं. उनमें से जो ठीक लगे उसे सेलेक्ट कर कंट्रोल c दबाने से कॉपी हो जाएगा. जहाँ लगाना हो वहां कर्सर रखकर कंट्रोल v करें तो पेस्ट हो जाएगा.

sanjiv ने कहा…

सौभाग्य से माँ और पत्नि ने लगभग ऐसा ही सम्बन्ध जनवरी ८५ में विवाह और नवंबर ०८ में माँ के निधन के मध्य जिया है.

sanjiv ने कहा…

उत्साहवर्धन हेतु आभार.

sanjiv ने कहा…

प्रणव नाद गूंजे अगर, हर घर हो सुख-धाम
शुभाशीष दें सलिल से, हो न विधाता वाम

Ram Gautam gautamrb03@yahoo.com ने कहा…

Ram Gautam gautamrb03@yahoo.com

आ. आचार्य 'सलिल' जी,
प्रणाम:
चित्रित पंक्तियाँ 'माँ जी हैं बीमार..' में माँ के प्रति
श्रद्धा की पंक्तियाँ अच्छी लगीं, साधुवाद, बधाई !!
सादर- आरजी .

sanjiv ने कहा…

आपकी गुणग्राहकता को नमन.