: दोहा सलिला :
दुर्गा दुर्गति नाशिनी
दर्प-दर्द-दुःख-दैन्य दल, दर्शन दे दिवसांत
(नौ दुर्गा महोत्सव पर आनुप्रसिक दोहे)
संजीव
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दुर्गा! दुर्गतिनाशिनी, दक्षा दयानिधान
दुष्ट-दंडिनी, दगदगी, दध्यानी द्युतिवान
दुर्गा! दुर्गतिनाशिनी, दक्षा दयानिधान
दुष्ट-दंडिनी, दगदगी, दध्यानी द्युतिवान
(दुर्गा = आद्याशक्ति, दुर्गतिनाशिनी = बुरी
दशा को नष्ट करनेवाली, दक्षा = दक्ष पुत्री, निपुण- श्लेष अलंकार, दयानिधान = दया
करनेवाली, दुष्ट-दंडिनी = दुष्टों को दंड देनेवाली, दगदगी = चमकती हुई, दध्यानी = सुदर्शन,
दयावती = दयाभावना से युक्त, द्युतिवान = प्रकाशवान)
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दर्शन दे दो दक्षजा, दयासिन्धु दातार
दीप्तिचक्र दिप -दिप दिपे, दमके दीपाधार
दीपक दीपित दिवस्पति, दिव्याभित दिनकांत
(दक्षजा दक्ष से उत्पन्न सती, दातार = देनेवाला, दीप्तिचक्र = ज्योति-वलय, दीप-दीप = झिलमिल, दीपे = चमके, दीपाधार = दीवट)
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देख दंगई दबदबा, दंग देवि-दैत्यारि
दया-दृष्टिकर दर्श दो, दिल से दिखा दुलार
देइ! देशना दिव्य दो, देश-धर्म दरकार
(देइ = देवी, देशना = उपदेश, दरकार = आवश्यकता)
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दीर्घनाद-दुन्दुभ दिवा, दिग्दिगंत दिग्व्याप्त
दिग्विजयी दिव्यांगना, दीक्षा दे दो आप्त
(दीर्घनाद = शंखध्वनि, दुन्दुभ = नगाड़ा, दिवा = दिव्य, दिग्व्याप्त दिशाओं में व्याप्त,
दिग्विजयी = सभी दिशाओं में जीतनेवाला, दिव्यांगना = दिव्य देहवाली, दीक्षा = मन्त्र ग्रहण की क्रिया)*
देख दंगई दबदबा, दंग देवि-दैत्यारि
दंभी-दर्पी दग्धकर, दहला दें दनुजारि
(दक्षारि, दनुजारि = दक्ष , दानवों के शत्रु = शिव)
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दमनक दैत्य दुरित दनुज, दुर्नामी दुर्दांत
दस्यु दितिज दुर्दम दहक, दम तोड़ें दिग्भ्रांत
दस्यु दितिज दुर्दम दहक, दम तोड़ें दिग्भ्रांत
(दमनक = दमन करनेवाला, दैत्य = दिति के पुत्र,
दुरित = पापी, दनुज =दनु के पुत्र, दुर्नामी = बदनाम, दुर्दांत = जिसे
दबाना कठिन हो, दस्यु = डाकू, दितिज = दिति के पुत्र दैत्य, दुर्दम =
जिनको दबाना कठिन हो, दहक = जलकर, दम तोड़ें = मरें, दिग्भ्रांत = गलत दिशा
में)
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देह दुर्ग दुर्गम दिपे, दिनकरवत जग-मात!
दमदारी दे दानवी, दबंगता को मात
(मात = माँ / हार यमक अलंकार)
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दर्प-दर्द-दुःख-दैन्य दल, दर्शन दे दिवसांत
(दीपित = प्रज्वलित, दिवस्पति = इंद्र,
दिव्याभित = दिव्य आभा से युक्त दिनकांत = सूर्य, दिवसांत = दिवस के अंत
में, संध्या समय, दल = मिटा दे)
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दशकोटिक बल दशभुजी, देख दशानन दीन
दशकंठारि दिलीप दश-भुजी देख तल्लीन
(दशकोटिक दस करोड़ गुना, दशभुजी = शिव, दशानन = रावण, दशकंठारि = राम, दिलीप = सेनापति, दशभुजी = दुर्गा)
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उर्दू
दया-दफीना दे दिया, दस्तफ्शां को दान
(दरा = घंटा-घड़ियाल, दफीना = खज़ाना, दस्तफ्शां = विरक्त, दमामा = नक्कारा, दल्कपोश = भिखारी)
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दर पर था दरवेश पर, दरपै था दज्जाल
(दर= द्वार, दरवेश = फकीर, दरपै = घात में, दज्जाल = मायावी भावार्थ रावण, दरहम-बरहम = अस्त-व्यस्त, दामनी = आँचल भावार्थ सीता, दाल = पथ प्रदर्शक भावार्थ राम )
दिलावरी दिल हारकर, जीत लिया दिलदार
(दशकोटिक दस करोड़ गुना, दशभुजी = शिव, दशानन = रावण, दशकंठारि = राम, दिलीप = सेनापति, दशभुजी = दुर्गा)
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उर्दू
दया-दफीना दे दिया, दस्तफ्शां को दान
दरा-दमामा दाद दे, दल्कपोश हैरान
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दर पर था दरवेश पर, दरपै था दज्जाल
दरहम-बरहम दामनी, दूर देश था दाल
दिलावरी दिल हारकर, जीत लिया दिलदार
दिलफरेब-दीप्तान्गिनी, दिलाराम करतार
(दिलावरी = वीरता, दिलफरेब = नायिका, दिलदार / दिलाराम = प्रेमपात्र)
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Sanjiv verma 'Salil'
facebook: sahiyta salila / sanjiv verma 'salil'
4 टिप्पणियां:
Mridul Kirti
मुझे
दिग-दिगंत दुर्गेश की, दया दयानिधि क्षीर,
'द ' 'द ' 'द ; की दात्री, दिवा रात्रि हरे पीर।
नवरात्रि मंगलमय हो. आपका स्वास्थ्य अब कैसा है. आपके ब्लॉग का मेरे पास बहुत दिनों से कुछ नहीं आता है.
मृदु
Satish Saxena
बहुत खूब ...
आनंद दायक !
Dr Pradeep Sharma
Wah wah Acharya Salilji
Dohe damak rahe Salilji, Durga stuti suhaai
Yeh salilaa sangeet kee, sabke man ko bhaai
Dr Pradeep Sharma Insaan MD,FAMS
Professor, RP Centre
AIIMS New Delhi,INDIA
Kusum Vir द्वारा yahoogroups.com
आदरणीय आचार्य जी,
अनुप्रास के मनकों में जड़ित दुर्गा की उपासना में रचित अति सुन्दर, अद्भुत दोहेl
अशेष सराहना के साथ,
सादर,
कुसुम वीर
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