दोहा सलिला :
एक दोहा यमक का
संजीव
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कल-कल करते कल हुए, कल न हो सका आज
विकल मनुज बेअकल खो कल, सहता कल-राज
कल = आगामी दिन, अतीत, शांति, यंत्र
कल
करूंगा, कल करूंगा अर्थात आज का काम पर कल (अगला दिन) पर टालते हुए
व्यक्ति खुद चल बसा (अतीत हो गया) किन्तु आज नहीं आया. बुद्धिहीन मनुष्य
शांति खोकर व्याकुल होकर यंत्रों का राज्य सह रहा है अर्थात यंत्रों के
अधीन हो गया है.
Sanjiv verma 'Salil'
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