शिशु गीत सलिला : 6
संजीव 'सलिल'
*
51. फ्रिज
पानी ठंडा करता, बर्फ जमाता है,
फ्रिज है बहुत जरूरी सबको भाता है।
ताज़ा रखता खाना, फल, तरकारी भी-
रखे राधिका केक, पेस्ट्री, टॉफी भी।।
*
52. कूलर
कमरे में रहता, बैठा है खिड़की पर,
इसे चलाओ लेता पल में गर्मी हर।
खस की भीनी खुशबू सब के मन भाती-
चैन न इसके बिन गर्मी में है आती।।
*
53. टी. व्ही.
छोटे से डब्बे में सारी दुनिया है,
हँसा-रुला मन बहलाता है, गुनिया है।
दादा-दादी, माँ-पापा को भाता है-
टी. व्ही. का साथी हर मुन्ना-मुनिया है।।
*
54. कम्प्यूटर
घर ले आता ज्ञान, कला, विज्ञान है,
कम्प्यूटर तकनीक भरा वरदान है।
है दिमाग सी. पी. यू., दिल मोनीटर है-
वह पछताए जो इससे अनजान है।।
*
55. पंखा
हाथों से जब आ मिलता,
हवा हमें ठंडी झलता।
ताड़ पात्र या कपड़े से-
बनता हर कर में खिलता।
पंखा बिजली से चलता,
कर तज कर ना कर मलता।
छत, दीवाल, मेज के संग-
करे दोस्ती ना छलता।।
*
56. झूला
आओ! हिल-मिल झूला झूलें।
पेंग बढ़ाकर नभ को छूलें।
ठंडी-ठंडी हवा लगेगी-
पल में गर्मी दूर भगेगी।।
*
57. पौधे
बीजे बो, अंकुर निकलेंगे,
पौधे रोपो तुरत बढ़ेंगे।
इनमें पानी सींचो रोज-
पत्ते, फूल, छाँव, फल देंगे।
लकड़ी कई काम आयेगी,
हवा बिन कहे शुद्ध करेंगे।
बढ़ें पेड़ बन कर हरियाली-
दाम न कुछ भी हमसे लेंगे।
*
58. पत्ते
हमने पहने कपड़े-लत्ते,
झाड़ पहनता अपने पत्ते।
पत्ते हिलते बहे हवा तब-
पंछी को दुलराते पत्ते।।
धानी, हरे, जामुनी, पीले
सबके मन को भाते पत्ते।
टोपी, वस्त्र, झोपड़ी, झाड़ू
बना काम आते हैं पत्ते।।
*
59. कली
गुड़िया जैसी लगे भली,
पौधों पर जब मिले कली।
मंद-मंद मुस्काती है-
माँ को पा ज्यों हँसे लली।।
*
60. फूल
रंग-बिरंगे अनगिन फूल,
शाखाओं पर झूला झूल।
देवों के सर चढ़ते हैं-
कोई नहीं कहता है भूल।।
करें सुगन्धित बगिया को-
झरें सुगन्धित होती धूल।
दुनिया चैन न लेने दे,
चुभते हैं इनको भी शूल।।
*
संजीव 'सलिल'
*
51. फ्रिज
पानी ठंडा करता, बर्फ जमाता है,
फ्रिज है बहुत जरूरी सबको भाता है।
ताज़ा रखता खाना, फल, तरकारी भी-
रखे राधिका केक, पेस्ट्री, टॉफी भी।।
*
52. कूलर
कमरे में रहता, बैठा है खिड़की पर,
इसे चलाओ लेता पल में गर्मी हर।
खस की भीनी खुशबू सब के मन भाती-
चैन न इसके बिन गर्मी में है आती।।
*
53. टी. व्ही.
छोटे से डब्बे में सारी दुनिया है,
हँसा-रुला मन बहलाता है, गुनिया है।
दादा-दादी, माँ-पापा को भाता है-
टी. व्ही. का साथी हर मुन्ना-मुनिया है।।
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54. कम्प्यूटर
घर ले आता ज्ञान, कला, विज्ञान है,
कम्प्यूटर तकनीक भरा वरदान है।
है दिमाग सी. पी. यू., दिल मोनीटर है-
वह पछताए जो इससे अनजान है।।
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55. पंखा
हाथों से जब आ मिलता,
हवा हमें ठंडी झलता।
ताड़ पात्र या कपड़े से-
बनता हर कर में खिलता।
पंखा बिजली से चलता,
कर तज कर ना कर मलता।
छत, दीवाल, मेज के संग-
करे दोस्ती ना छलता।।
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56. झूला
आओ! हिल-मिल झूला झूलें।
पेंग बढ़ाकर नभ को छूलें।
ठंडी-ठंडी हवा लगेगी-
पल में गर्मी दूर भगेगी।।
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57. पौधे
बीजे बो, अंकुर निकलेंगे,
पौधे रोपो तुरत बढ़ेंगे।
इनमें पानी सींचो रोज-
पत्ते, फूल, छाँव, फल देंगे।
लकड़ी कई काम आयेगी,
हवा बिन कहे शुद्ध करेंगे।
बढ़ें पेड़ बन कर हरियाली-
दाम न कुछ भी हमसे लेंगे।
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58. पत्ते
हमने पहने कपड़े-लत्ते,
झाड़ पहनता अपने पत्ते।
पत्ते हिलते बहे हवा तब-
पंछी को दुलराते पत्ते।।
धानी, हरे, जामुनी, पीले
सबके मन को भाते पत्ते।
टोपी, वस्त्र, झोपड़ी, झाड़ू
बना काम आते हैं पत्ते।।
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59. कली
गुड़िया जैसी लगे भली,
पौधों पर जब मिले कली।
मंद-मंद मुस्काती है-
माँ को पा ज्यों हँसे लली।।
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60. फूल
रंग-बिरंगे अनगिन फूल,
शाखाओं पर झूला झूल।
देवों के सर चढ़ते हैं-
कोई नहीं कहता है भूल।।
करें सुगन्धित बगिया को-
झरें सुगन्धित होती धूल।
दुनिया चैन न लेने दे,
चुभते हैं इनको भी शूल।।
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15 टिप्पणियां:
vijay द्वारा yahoogroups.com
kavyadhara
आनन्द आया।
अब तो आपके बाल-गीत संग्रह की प्रतीक्षा है।
विजय
Indira Pratap द्वारा yahoogroups.com
kavyadhara
संजीव भाई ,
शिशु गीत पढ़ते ही सामने बच्चे दिखाई देते हैं | प्रकाशित कीजिए | छोटे बच्चों के लिए बहुत लाभकारी रहेगी | इसकी पहली ख़ासियत यह है कि चार पंक्तियों में होने के कारण और लय बद्ध होनें के कारण सुगमता से बच्चे और बड़ों के लिए याद करना बहुत सुगम है |बहुत बहुत बधाई | इन्दिरा
Mahipal Singh Tomar द्वारा yahoogroups.com
आचार्य जी,
एक सप्ताह के 'सलिला' रहित सन्नाटे को तोड़ कर आपने जो सलिला प्रवाहित की है और शिशुगीत प्रेमियों पर आपने जो उपकार किया है, वह,वर्णनातीत है ।
कविता मंच के स्तम्भ, को नमन।
सादर,
महिपाल, दिसंबर 14 ,
deepti gupta द्वारा yahoogroups.com
बहुत आनंदित किया आपकी इन नन्ही-मुन्नी कविताओं ने!
काश! के हम सब बच्चे होते आप हमारे टीचर ..........होते
झूम-झूम कविताएँ पढ़ते
फ्रिज खोलकर आइसक्रीम खाते
कूलर से जी भर ठंडाते
बैठ मज़े में, झूला झुलावाते (टीचर से)
सादर,
दीप्ति
Er. Ganesh Jee "Bagi"
mukhya prabandhak Open books online
आदरणीय श्री संजीव वर्मा "सलिल" जी,
सादर अभिवादन !
मुझे यह बताते हुए हर्ष हो रहा है कि आप की रचना "शिशु गीत सलिला १" को महीने की सर्वश्रेष्ठ रचना पुरस्कार के रूप मे सम्मानित किया गया है, तथा आप की छाया चित्र को ओ बी ओ मुख्य पृष्ठ पर स्थान दिया गया है | इस शानदार उपलब्धि पर बधाई स्वीकार करे |
आपको पुरस्कार राशि रु ५५१/- और प्रसस्ति पत्र शीघ्र उपलब्ध करा दिया जायेगा, इस नामित कृपया आप अपना नाम (चेक / ड्राफ्ट निर्गत हेतु), तथा पत्राचार का पता व् फ़ोन नंबर admin@openbooksonline.com पर उपलब्ध कराना चाहेंगे | मेल उसी आई डी से भेजे जिससे ओ बी ओ सदस्यता प्राप्त की गई हो |
शुभकामनाओं सहित
आपका
गणेश जी "बागी
Laxman Prasad Ladiwala
आपकी तो हर रचना सुन्दर भाव अभिव्यक्ति लिए पढने में आनंद देने वाली होती है
और फिर शिशु गीत सलिला से तो बल साहित्य और समरद्ध हुआ है, यह प्रबंधक
मंडल के निर्णय से और पुष्ट हो गया । मेरी हार्दिक बधाई स्वीकारे भाई संजीव वर्मा 'सलिल' जी
Dr.Prachi Singh…
आदरणीय संजीव जी,
सादर प्रणाम!
शिशु गीत सलिला को माह नवम्बर की सर्वश्रेष्ठ कृति का सम्मान मिलने पर आपको हार्दिक बधाई.
MAHIMA SHREE…
आदरणीय संजीव सर, सादर नमस्कार...
"महीने की सर्वश्रेष्ठ रचना पुरस्कार" से सम्मानित होने के लिए आपको हार्दिक बधाई और शुभकामनाएं/
कुमार गौरव अजीतेन्दु …
आदरणीय संजीव सर, सर्वश्रेष्ठ रचना चुने जाने की हार्दिक बधाई स्वीकारें
Arun Kumar Pandey 'Abhinav' …
आदरणीय श्री सलिल जी आपके "शिशु गीत " को माह की श्रेष्ठ रचना का पुरस्कार प्रदान किये जाने पर हार्दिक बधाई !! आपकी हर कृति हमारे लिए प्रेरणा स्रोत है सादर नमन आपका !!
सदस्य कार्यकारिणीAVINASH S BAGDE …
चंदा मामा आओ न,
तारे भी संग लाओ ना।
गिल्ली-डंडा कल खेलें-
आज पतंग उड़ाओ ना।।
आदरणीय श्री सलिल जी आपके "शिशु गीत " को माह की श्रेष्ठ रचना का पुरस्कार प्रदान किये जाने पर हार्दिक बधाई !!
Pankaj Trivedi
शिशु गीत सलिला : 1 in the group बाल साहित्य
"आदरणीय सलिल जी, इस माह की श्रेष्ठ रचना के लिये दिल से बधाई "
Dr.Prachi Singh
आदरणीय संजीव जी,
नन्ही नन्ही बाल रचनाओं की प्रस्तुति के क्रम में यह सभी छोटी छोटी कवितायेँ बहुत सुन्दर बनी है, इस हेतु हार्दिक बधाई.
Dr.Ajay Khare
"salil ji khafi behtar likha he badahi"
Chandresh Kumar Chhatlani
शिशु गीत सलिला : 1 in the group बाल साहित्य
"आदरणीय संजीव 'सलिल; जी, शिशु गीत सलिला को माह की श्रेष्ठ रचना का पुरस्कार पाने पर हार्दिक बधाई| चंद्रेश "
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