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बुधवार, 13 अगस्त 2025

अगस्त १३, इतिहास, संसद, फिरोज गांधी, नवगीत, दोहा, मित्र, मुक्तक, पूर्णिका

सलिल सृजन अगस्त १३
*
पूर्णिका
आईना
बोलता सच आईना
खोलता सच आईना
.
बिका जबसे मीडिया
तोलता सच आईना
.
हाय! संसद में न अब 
ढोलता सच आईना
.
सलिल-जनमत में सतत
घोलता सच आईना
१३.८.२०२५
०००
पूर्णिका
छप्पर है पानी पानी
भू-चूनर धानी-धानी
.
आसमान खैरात लिए
बादल गरजे बन दानी
.
नदी समंदर में फेंके
पाया जल सचमुच मानी
.
पवन बिजुरिया को छेड़े
कहे- जान, दिलवर जानी
.
लिव इन, लव जिहाद घातक
रहो दूर तितली रानी
.
चंपा और चमेली ने
शादी करने की ठानी
.
फुलबगिया अपनी सुंदर
कली कली है लासानी
.
सावन-फागुन दीवाली
बिना 'सलिल' है बेमानी
.
बागबान गुल गुलशन का
नाता नाजुक अरमानी
१३.८.२०२५
०००
पूर्णिका 
मन मंदिर में प्रेम
बसे तभी हो क्षेम
.
कोशिश कर अनवरत
जब तक मिले न एम
.
जग काजल का कक्ष
बच हो नहीं डिफेम
.
शेष न जब धन-देह
हो तब बुक अरु फेम
.
बने हार भी जीत
'सलिल' न छोड़ो गेम
०००
षट्पदी
सामना
.
मैके से लाली लौटी तो, सुन लालू का लाफ
कारण पूछा तो कहे लालू- 'करना माफ
कहता ट्रुथ होना नहीं तुम मुझसे नाराज़
कहा गुरू जी ने यही, प्रवचन में था आज
सिर चढ़ जाए मुसीबत तो मत डरकर भाग
हँसी-खुशी कर सामना, पग पर रखकर पाग।।
०००
केतकी पर सोरठे
हुई केतकी दीन, शिव से मिथ्या वचन कह।
थी मन-वृत्ति मलीन, पछताई भी शाप पा।।
.
श्वेत-पीत अभिराम, कोमल पात हरे हरे।
जपती हरि का नाम, सुरभि बिखेरे दूर तक।।
.
कहें गवाही झूठ, जो वे यह भी जान लें।
किस्मत जाती रूठ, मिलता है अभिशाप भी।।
.
जड़-पत्तों से आप, बना चटाई-टोकनी।
सकें जगत में व्याप, हस्त शिल्प से ख्याति पा।।
.
फुलबगिया में बैठ, जुही-केतकी सहेली।
कह मुकरी में पैठ रोज बूझतीं पहेली।।
.
लव-जिहाद तूफान,
हुई केतकी भीत है।
कोई न ले ले मान, बली बने तब जीत है।।
.
रंग-जाति शैतान, रिपु दहेज दानव मुआ।
लिए ले रहा जान, दिखा केतकी को कुँआ।।
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१२.८.२०२५
०००
इतिहास
धोया गया संसद भवन
मुहूर्त निकाल तय किया था आजादी का दिन|
हमारे संविधान के निर्माण में २ साल ११ महीने १८ दिन का समय लगा। डॉ. राजेन्द्र प्रसाद को संविधान निर्माता कहलाने का गौरव प्राप्त है। डॉ. वे संविधान सभा के अध्यक्ष थे। संविधान के विविध पहलू पर अध्ययन और अनुश्ंसाओं हेतु कई समिति थीं। भीमराव अंबेडकर संविधान बनाने वाली प्रारूप समिति के अध्यक्ष थे जिसमें कुल ७ सदस्य थे। 

१९४७ में जब यह तय हो गया कि अंग्रेज भारत छोडऩे के लिए तैयार हैं, डॉ. राजेन्द्र प्रसाद ने गोस्वामी गणेशदत्त महाराज के माध्यम से उज्जैन के पंडित सूर्यनारायण व्यास को बुलावा भेजा। पंडित व्यास ने पंचांग देखकर बताया कि आजादी के लिए सिर्फ दो ही दिन शुभ हैं। १४ और १५ अगस्त। इसमें एक दिन पाकिस्तान को आजाद घोषित किया जा सकता है और एक दिन भारत को। उन्होंने डॉ. प्रसाद को भारत की आजादी के लिए मध्यरात्रि १२ बजे यानी स्थिर लग्न नक्षत्र का समय सुझाया। ताकि देश में लोकतंत्र स्थिर रहे। डॉ. राजेंद्र प्रसाद के आग्रह पर उन्होंने बताया कि अगर आजादी १५ अगस्त १९४ की मध्यरात्रि १२ बजे ली गई तो हमारा गणतंत्र अमर रहेगा, १९९०  के बाद से देश की तरक्की होगी और २०२० तक भारत विश्व का सिरमौर बन जाएगा। इतना ही नहीं पंडित व्यास के कहने पर आजादी के बाद देर रात संसद को धोया भी गया था। क्योंकि ब्रिटिश शासकों के बाद अब यहां भारतीय बैठने वाले थे। धोने के बाद उनके बताए मुहूर्त पर गोस्वामी गिरधारीलाल ने संसद की शुद्धि करवाई थी। इसके बाद से चाहे शनि की दशा में देश को आजादी मिली, देश के टुकड़े हो गए, केतु की महादशा में देश भुखमरी और तंगहाली से गुजरा। मगर १९९० में शुक्र की महादशा शुरू होने के बाद देश की तरक्की भी शुरू हो गई।
 
पंडित सूर्यनारायण व्यास के पुत्र राजशेखर ने उनके जीवन और उनकी भविष्यवाणियों पर एक किताब लिखी है। 'याद आते हैं 'शीर्षक वाली इस किताब के ३४ वें 'अध्याय ज्योतिष जगत के सूर्य (पृष्ठ क्रमांक १९७-१९८) में आजादी के दिन के मुहूर्त का उल्लेख किया गया है। राजशेखर ने इस अध्याय में अपने पिता की अन्य भविष्यवाणियों का भी जिक्र किया है। सांदीपनी ऋषि के वंशज महान ज्योतिषाचार्य, लेखक, पत्रकार, पंडित सूर्यनारायण व्यास थे। उनका जन्म २ मार्च १९९  को हुआ था।

भविष्यवाणियां याँ सच निकली - लालबहादुर शास्त्री के ताशकंद जाने से पहले सूर्यनारायण व्यास ने एक लेख में इस बात का उल्लेख कर दिया था कि वे जीवित नहीं लौटेंगे। उन तक यह खबर पहुंची भी लेकिन उन्होंने इसे हँसकर टाल दिया। बाद में भविष्यवाणी सच साबित हुई। ७ दिसंबर १९५० को एक अखबार में उन्होंने लिखा कि उपप्रधानमंत्री सरदार वल्लभ भाई पटेल का स्वास्थ्य अत्यंत चिंताजनक हो सकता है। १७ दिसंबर तक उनके लिए कठिन समय रहेगा। आखिर १६ दिसंबर की अर्ध रात्रि को सरदार पटेल दिवंगत हो गए। इससे पहले १९३२ में उन्होंने एक अंग्रेजी अखबार में भूकंप पर एक लेख लिखा था। फिर एक पत्र लिखकर आने वाले ३०० भूकंपों की सूची प्रकाशित करवा दी। समय के साथ-साथ ये भी सही साबित होती जा रही है। यह पत्र और अखबार सुरक्षित हैं। उन्होंने जवाहरलाल नेहरू, राजेन्द्र प्रसाद और महात्मा गाँधी के बारे में भी कई सटीक भविष्यवाणियाँ काफी पहले ही कर दी थीं।
***
भ्रष्टाचार के विरुद्ध खड़े होते थे फिरोज गाँधी 
*
परिवार से जुड़े होने के बावजूद अपनी अलग पहचान रखने के कायल फिरोज गांधी को एक ऐसे नेता और सांसद के रूप में याद किया जाता है जो हमेशा स्वच्छ सामाजिक जीवन के पैरोकार रहे और भ्रष्टाचार के खिलाफ आवाज बुलंद करते रहे। फिरोज के समकालीन लोगों का कहना है कि वह भले ही संसद में कम बोलते रहे लेकिन वे बहुत अच्छे वक्ता थे और जब भी किसी विषय पर बोलते थे तो पूरा सदन उनको ध्यान से सुनता था। उन्होंने कई कंपनियों के राष्ट्रीयकरण का भी अभियान चलाया था।
फिरोज गाँधी अपने दौर के एक कुशल सांसद के रूप में जाने जाते थे। फिरोज इलाहाबाद के रहने वाले थे और आज भी लोग उनकी पुण्यतिथि के दिन उनकी मजार पर जुटते हैं और उन्हें श्रद्धांजलि दी जाती है। दिल्ली में मृत्यु के बाद फिरोज गांधी की अस्थियों को इलाहाबाद लाया गया था और पारसी धर्म के रिवाजों के अनुसार वहां उनकी मजार बनाई गई।
फिरोज गाँधी अच्छे खानपान के बेहद शौकीन थे। इलाहाबाद में फिरोज को जब भी फुर्सत मिलती थी वह लोकनाथ की गली में जाकर कचौड़ी तथा अन्य लजीज व्यंजन खाना पसंद करते थे। इसके अलावा हर आदमी से खुले दिल से मिलते थे। फिरोज गांधी का जन्म १२ अगस्त १९१२ को मुंबई के एक पारसी परिवार में हुआ था। बाद में वह इलाहाबाद आ गए और उन्होंने एंग्लो वर्नाकुलर हाई स्कूल और इवनिंग क्रिश्चियन कालेज से पढ़ाई की। पढ़ाई के दौरान ही उनकी जान पहचान नेहरू परिवार से हुई। शिक्षा के लिए फिरोज बाद में लंदन स्कूल आफ इकोनामिक्स चले गये।
इंग्लैंड में पढ़ाई के दौरान फिरोज और इंदिरा गांधी के बीच घनिष्ठता बढ़ी। इसी दौरान कमला नेहरू के बीमार पड़ने पर वह स्विट्जरलैंड चले गये। कमला नेहरू के आखिरी दिनों तक वह इंदिरा के साथ वहीं रहे। फिरोज बाद में पढ़ाई छोड़कर वापस आ गए और मार्च 1942 में उन्होंने इंदिरा गांधी से हिन्दू रीति रिवाजों के अनुसार विवाह कर लिया। विवाह के मात्र छह महीने बाद भारत छोड़ो आंदोलन के दौरान दंपत्ति को गिरफ्तार कर लिया गया। फिरोज को इलाहाबाद के नैनी जेल में एक साल कारावास में बिताना पड़ा। आजादी के बाद फिरोज नेशनल हेरल्ड समाचार पत्र के प्रबंध निदेशक बन गये। पहले लोकसभा चुनाव में वह रायबरेली से जीते। उन्होंने दूसरा लोकसभा चुनाव भी इसी संसदीय क्षेत्र से जीता। संसद में उन्होंने भ्रष्टाचार के खिलाफ कई मामले उठाये जिनमें मूंदड़ा मामला प्रमुख था। फिरोज गांधी का निधन ८ सितंबर १९६०  को दिल्ली में दिल का दौरा पड़ने से हुआ।
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दोहा सलिला
मित्र
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निधि जीवन की मित्रता, करे सुखी-संपन्न
मित्र न जिसको मिल सके, उस सा कौन विपन्न.
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सबसे अधिक गरीब वह, मिला न जिसको मित्र
गुल गुलाब जिससे नहीं, बन सकता हो इत्र
*
बिना स्वार्थ संबंध है, मन से मन का मित्र
मित्र न हो तो ज़िंदगी, बिना रंग का चित्र
१३-८-२०२०
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नवगीत:
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हल्ला-गुल्ला
शोर-शराबा
*
जंगल में
जनतंत्र आ गया
पशु खुश हैं
मन-मंत्र भा गया
गुराएँ-चीखें-रम्भाएँ
काँव-काँव का
यंत्र भा गया
कपटी गीदड़
पूजता बाबा
हल्ला-गुल्ला
शोर-शराबा
*
शतुरमुर्ग-गर्दभ
हैं प्रतिनिधि
स्वार्थ साधते
गेंडे हर विधि
शूकर संविधान
परिषद में
गिद्ध रखें
परदेश में निधि
पापी जाते
काशी-काबा
हल्ला-गुल्ला
शोर-शराबा
*
मानुष कैट-वाक्
करते हैं
भौंक-झपट
लड़ते-भिड़ते हैं
खुद कानून
बनाकर-तोड़ें
कुचल निबल
मातम करते हैं
मिटी रसोई
बसते ढाबा
हल्ला-गुल्ला
शोर-शराबा
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मुक्तक
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मापनी: २१२११ १२१११ २११
छंद: महासंस्कारी
बह्र: फाइलातुन मुफाईलुन फैलुन
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रोकना मत, चले सदन संसद
चेतना झट, अगर रुके संसद
स्वार्थ साधन करें सतत जो दल
छोड़ना मत, गति भटक संसद
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लीडरों! फिर बबाल करना मत
जो हुआ, अब धमाल करना मत
लोक का दुःख नहीं तनिक भी कम
शोक का इंतिज़ाम करना मत
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पंडितों! तनिक राम भजिए अब
लोभ-लालच हराम तजिए अब
अस्थियाँ धरम की करम में लख
भूत-भावन सदृश्य सजिए अब
***
एक दोहा
बाप, बाप के है सलिल, बच्चे कम मत मान
वे तुझसे आगे बहुत, खुद पर कर न गुमान
१३-८-२०१५

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