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शुक्रवार, 13 अगस्त 2021

दोहा यमक

दोहा सलिला
गले मिले दोहा यमक
संजीव
देव! दूर कर बला हर, हो न करबला और
जयी न हो अन्याय अब, चले न्याय का दौर
*
'सलिल' न हो नवजात की, अब कोई नव जात
मानव मानव एक हो, भेद रहे अज्ञात
*
अबला सबला या बला, बतलायेगा कौन?
बजे न तबला शीश पर, बेहतर रहिए मौन
*
बाप, बाप के हैं सलिल, बच्चे कम मत मान
वे तुझसे आगे बहुत, खुद पर कर न गुमान
*

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