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रविवार, 1 अगस्त 2021

मित्र

मित्र दिवस 
*
मित्र न पुस्तक से अधिक,
बेहतर कोई मीत!.
सुख-दुःख में दे-ले 'सलिल',
मन जुड़ते नव रीत.
*
नहीं लौटता कल कभी,
पले मित्रता आज.
थाती बन कल तक पले,
करे ह्रदय पर राज.
*
मौन-शोर की मित्रता, 
अजब न ऐसी अन्य. 
यह आ, वह जा मिल गले 
पालें प्रीत अनन्य.
*
तन-मन की तलवार है, 
मन है तन की ढाल.
एक साथ हर्षित हुए,
होते संग निढाल. 
*
गति-लय अगर न मित्र हों,
जिए किस तरह गीत.
छंद बंध अनिबंध कर,
कहे पले अब प्रीत.
*
सरल शत्रुता साधना,
कठिन निभाना साथ.
उठा, जमा या तोड़ मत 
मित्र! मिला ले हाथ.
*
मैं-तुम हम तो मित्रता,
हम मैं-तुम तो बैर.
आँख फेर मुश्किल बढ़े,
गले मिले तो खैर.
*
मित्र दिवस 
*
मित्र न पुस्तक से अधिक,
बेहतर कोई मीत!.
सुख-दुःख में दे-ले 'सलिल',
मन जुड़ते नव रीत.
*
नहीं लौटता कल कभी,
पले मित्रता आज.
थाती बन कल तक पले,
करे ह्रदय पर राज.
*
मौन-शोर की मित्रता, 
अजब न ऐसी अन्य. 
यह आ, वह जा मिल गले 
पालें प्रीत अनन्य.
*
तन-मन की तलवार है, 
मन है तन की ढाल.
एक साथ हर्षित हुए,
होते संग निढाल. 
*
गति-लय अगर न मित्र हों,
जिए किस तरह गीत.
छंद बंध अनिबंध कर,
कहे पले अब प्रीत.
*
सरल शत्रुता साधना,
कठिन निभाना साथ.
उठा, जमा या तोड़ मत 
मित्र! मिला ले हाथ.
*
मैं-तुम हम तो मित्रता,
हम मैं-तुम तो बैर.
आँख फेर मुश्किल बढ़े,
गले मिले तो खैर.
*
मीनाकारी मिल करें, 
शब्दों की सब मित्र।
बुद्धि विनीता का करो, 
स्वागत छिड़को इत्र।।
*
नहीं कलपना; कल्पना, 
कर दें मिल साकार।
हाथ मित्रता का करें, 
हाथों में स्वीकार।।
*
सदा निरुपमा मित्रता, 
है अमोल उपहार।
दिल हारे दिल जीतकर, 
दिल जीते दिल हार।।
***
संजीव 
९४२५१८३२४४

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