कार्यशाला: प्रश्नोत्तर
रोज मैं इस भँवर से दो- चार होता हूँ
क्यों नहीं मैं इस नदी से पार होता हूँ ।
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लाख रोके राह मेरी, है मुझे प्यारी
इसलिए हँस इसी पर सवार होता हूँ ।
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रोज मैं इस भँवर से दो- चार होता हूँ
क्यों नहीं मैं इस नदी से पार होता हूँ ।
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लाख रोके राह मेरी, है मुझे प्यारी
इसलिए हँस इसी पर सवार होता हूँ ।
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