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रविवार, 9 अगस्त 2015

रात काले बादलो की

रात काले बादलो की

प्रो. सी.बी. श्रीवास्तव
                                 ओ.बी. 11, एमपीईबी कालोनी
                                      रामपुर, जबलपुर
                                      मो.9425806252

आ  गई सजधज संवर बारात काले बादलो की
छा गई नभ मे उमडकर पांत काले बादलो की

जल रहे थे सब धरा पर तेज झुलसाती तपन थी
सुधि भुलाये से पडे थे लोग व्याकुल तब बदन की
तभी दर्षन दे सुहावन दो अमृत बूंदे गिराकर
दे गई थी सूचना बदली पवन संग आगमन की
कान मे कुछ कह सलोनी बात काले बादलो की

धरा पुलकित लोग प्रमुदित प्रकृति पै नव रंग छाया
मधुरता वातावरण मंे भर मलय वातास आया
मिली शीतलता बदन को सांस को आभास मीठा
लहरती ठंडी फुहारो ने सुखद उत्सव रचाया
आई फिर बरसात ले सौगात काले बादलो की

समाया उल्लास धरती गगन के हर एक कण मे
सिंधु लहरे ले चला हर नयन मे हर एक मन मे
सभी जड चेतन मगन से प्राण जैसे हो गये सब
मौन उत्कंठा अपरिमित भर रही सपने नयन मे
रात भर सोने न देगी रात काले बादलो की

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