शोक गीत:
-आचार्य संजीव 'सलिल'
(प्रसिद्ध कवि-कथाकार-प्रकाशक, स्व. डॉ. (प्रो.) दिनेश खरे, विभागाध्यक्ष सिविल इंजीनियरिंग, शासकीय इंजीनियरिंग महाविद्यालय जबलपुर, सचिव इंडियन जियोटेक्नीकल सोसायटी जबलपुर चैप्टर के असामयिक निधन पर )
नर नहीं,
नर-रत्न थे तुम,
समय कीमत
कर न पाया...
***
विरल थी
प्रतिभा तुम्हारी.
ज्ञान के थे
तुम पुजारी.
समस्याएँ
बूझते थे.
रूढियों से
जूझते थे.
देव ने
क्षमताएँ अनुपम
देख क्या
असमय बुलाया?...
***
नाथ थे तुम
'निशा' के पर
शशि नहीं,
'दिनेश' भास्वर.
कोशिशों में
गूँजता था
लग्न-निष्ठा
वेणु का स्वर.
यांत्रिकी-साहित्य-सेवा
दिग्-दिगन्तों
यश कमाया...
***
''शीघ्र आऊंगा''
गए-कह.
कहो तो,
हो तुम कहाँ रह?
तुम्हारे बिन
ह्रदय रोता
नयन से
आँसू रहे बह.
दूर 'अतिमा' से हुए-
'कौसुन्न' को भी
है भुलाया...
***
प्राण थे
'दिनमान' के तुम.
'विनय' के
अभिमान थे तुम.
'सुशीला' की
मृदुल ममता,
स्वप्न थे
अरमान थे तुम.
दिखाए-
सपने सलोने
कहाँ जाकर,
क्यों भुलाया?...
***
सीख कुछ
तुमसे सकें हम.
बाँट पायें ख़ुशी,
सह गम.
ज्ञान दें,
नव पीढियों को.
शान दें
कुछ सीढियों को.
देव से
जो जन्म पाया,
दीप बन
सार्थक बनाया.
***
नर नहीं,
नर-रत्न थे तुम,
'सलिल' कीमत
कर न पाया...
***
दिव्य नर्मदा : हिंदी तथा अन्य भाषाओँ के मध्य साहित्यिक-सांस्कृतिक-सामाजिक संपर्क हेतु रचना सेतु A plateform for literal, social, cultural and spiritual creative works. Bridges gap between HINDI and other languages, literature and other forms of expression.
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शुक्रवार, 24 जुलाई 2009
प्रो. दिनेश खरे के निधन पर शोक गीत: संजीव 'सलिल'
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प्रो दिनेश खरे,
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संजीव 'सलिल'
आचार्य संजीव वर्मा सलिल
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8 टिप्पणियां:
vedna ke in svaron men ek svar mera milaalo ,om shanti ,veerubhai
July 24, 2009 11:43 PM
BADE GAUR SE SUN RAHA THA JAMANA
PAR TUMHI SO GAYE DASTAN KAHTE KAHTE
HAME DUKH HAI.
July 25, 2009 12:43 AM
यह सूचना और यह गीत दोनो ही मुझे भिगो गये .मेरी श्रद्धांजलि
July 25, 2009 2:07 AM
बहुत बढ़िया...ईश्वर उनकी आत्मा को शांति दे...और परिवारवालों को दुःख सहने की शक्ति भी....
aap boht achchha likhte hain. kahne ki jaroorat naheen.....its really awsome...apke pass word power hai...its really wonderful post.
Highest regards to Prof. D.K.Khare
pro. dinesh khare apni misal aap the. unki kami hamesh khalegi.
हिंदी में शोकगीत अपेक्षाकृत कम ही लिखे गए हैं. नवगीत शैली में रचित इस शोकगीत को सराहनेवालों को धन्यवाद.
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