पारुल
रुन-झुन करती आयी पारुल।
सब बच्चों को भायी पारुल।
बादल गरजे, तनिक न सहमी।
बरखा लख मुस्कायी पारुल।
चम-चम बिजली दूर गिरी तो,
उछल-कूद हर्षायी पारुल।
गिरी-उठी, पानी में भीगी।
सखियों सहित नहायी पारुल।
मैया ने जब डाँट दिया तो-
मचल-रूठ-गुस्सायी पारुल।
छप-छप खेले, ता-ता थैया।
मेंढक के संग धायी पारुल।
'सलिल' धार से भर-भर अंजुरी।
भिगा-भीग मस्तायी पारुल।
-संजीव 'सलिल'
दिव्य नर्मदा : हिंदी तथा अन्य भाषाओँ के मध्य साहित्यिक-सांस्कृतिक-सामाजिक संपर्क हेतु रचना सेतु A plateform for literal, social, cultural and spiritual creative works. Bridges gap between HINDI and other languages, literature and other forms of expression.
कुल पेज दृश्य
सोमवार, 20 जुलाई 2009
बाल गीत: पारुल, आचार्य संजीव 'सलिल'
करें वंदना-प्रार्थना, भजन-कीर्तन नित्य.
सफल साधना हो 'सलिल', रीझे ईश अनित्य..
शांति-राज सुख-चैन हो, हों कृपालु जगदीश.
सत्य सहाय सदा रहे, अंतर्मन पृथ्वीश..
गुप्त चित्र निर्मल रहे, ऐसे ही हों कर्म.
ज्यों की त्यों चादर रखे,निभा'सलिल'निज धर्म.
सदस्यता लें
टिप्पणियाँ भेजें (Atom)
14 टिप्पणियां:
क्या पारुल मन को आपने मोह लिया ......मै भी बच्चा जैसा ही अनुभव कर रहा हुँ.
July 7, 2009 1:18 PM
बहुत खूब है तुम्हरी पारुल
सबके मन को भायी पारुल
धन्यवाद
July 7, 2009 2:01 PM
रुन-झुन करती आयी पारुल।
सब बच्चों को भायी पारुल।
बादल गरजे, तनिक न सहमी।
बरखा लख मुस्कायी पारुल।
चम-चम बिजली दूर गिरी तो,
उछल-कूद हर्षायी पारुल।
गिरी-उठी, पानी में भीगी।
सखियों सहित नहायी पारुल।
मैया ने जब डाँट दिया तो-
मचल-रूठ-गुस्सायी पारुल।
छप-छप खेले, ता-ता थैया।
मेंढक के संग धायी पारुल।
'सलिल' धार से भर-भर अंजुरी।
भिगा-भीग मस्तायी पारुल।
ग़ज़ल की form में एक अच्छी कविता
July 7, 2009 4:06 PM
क्या बात है पारुल की
बहुत खूब
सादर
रचना
July 7, 2009 10:02 PM
LOVLY PARUL...
July 8, 2009 5:59 AM
पारुल बड़ी प्यारी है
July 8, 2009 11:43 PM
माननीय,
एक मासूम कविता | एसी कविताये ही अमर बनती है क्योंकि इन्हें कागज कलम की दरकार नहीं होती | सहज प्रवाही मुख सुखकारी |
सादर
July 11, 2009 8:37 AM
पारुल की तरह मैं भी हर्षित हो गयी
July 12, 2009 6:08 PM
dschauhan...
बारिश में खूब नहाये पारुल के संग!
सभी बहुत हर्षाये पारुल के संग!!
संजीव जी बहुत अच्छी और मासूम सी कविता के लिए बधाई!
देवेन्द्र सिंह चौहान
July 13, 2009 11:42 AM
mantramugdh kar diya ........
waah
waah
badhaai !
July 11, 2009 2:08 AM
पारुल जिनके मन रूचि,
उन सबका आभार.
पारुल की मुस्कान हर,
ले आती त्यौहार.
Lovely...Nice
पारुल ने मन मोह लिया.
saras, saral baal geet.
एक टिप्पणी भेजें