सलिल सृजन ९ फरवरी
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अन्नपूर्णा
आईने से पूछिए तो कहेगा वह
ख्वाब तेरे देखते हैं श्याम निश-दिन
राधिका तू बावरी मत हो सम्हाल जा
चुन उसे दिल देख जिसको कहे तक-धिन
लक्ष्मी तू है सुनिश्चित हरि मिलेंगे
शिवा हो तो शिव न अब तुझको तजेंगे
शारदा हो रमेगी तू जब जहाँ पर
ब्रह्म थामे हाथ तेरा वहीं आकर
करेगी संकल्प जो वह पा सकेगी
धन्य वह घर तू जहाँ पर पग धरेगी
शाद हो तू साथ जिसके वर उसे ही
अन्नपूर्णा है सदा मंगल करेगी
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