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शनिवार, 2 सितंबर 2023

गीत, सप्त स्वर, रंजना गुप्ता लखनऊ

गीत
सप्त स्वर...
रंजन गुप्ता लखनऊ
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षडज ऋषभ मध्यम गांधार
पंचम धैवत और निषाद...
सातों स्वर अब मेरे कारण
रचते पीड़ा और विषाद...
सप्तक के आरोह और
अवरोह दर्द की ही आवृति ..
और भैरवी की उन्मनता
उद्वेलन को देती है गति....
सामवेद की ऋचा सृष्टि की
रचना का है अनहद नाद ..
विरही चातक और पपीहा
मद्धम सुर में टीस उठाएँ..
अंतर्मन के कैनवास पर
वाणी की संगीत सभाएँ...
पीर तरंगिणि अमर हुई है
भू के पहले नभ के बाद....
वीणा और मृदंग बाँसुरी
राग रागिनी हुई बावरी...
इकतारा की तान हूक सी
मन के होती पार सखी री...
जीवन के अभिलेख संग ही
मृत्यु लिखाती अपना वाद...

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