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रविवार, 26 मार्च 2023

रामायणकालीन 'पाताल लोक', सियूदाद ब्लांका

 शोधलेख 

रामायणकालीन 'पाताल लोक'

रामायण की कथा के अनुसार जब मायावी अहिरावण, राम और लक्ष्मण का हरणकर उन्हें अपने माया लोक पातालपुरी ले जाता है। हनुमान जी को अहिरावण तक पहुँचने के लिए पातालपुरी के रक्षक मकरध्वज को परास्त करना पड़ा था जो ब्रह्मचारी हनुमान का ही पुत्र था। मकरध्वज एक मत्स्यकन्या से उत्पन्न हुए थे, जो लंकादहन के बाद समुद्र में आग बुझाते हनुमान जी के पसीना गिर जाने से गर्भवती हुई थी। रामकथा के मुताबिक अहिरावण वध के बाद भगवान राम ने वानर रूप वाले मकरध्वज को ही पातालपुरी का राजा बना दिया था, जिसे पाताल पुरी के लोग पूजने लगे थे।

तदनुसार पाताल लोक ठीक धरती के नीचे है। वहाँ तक पहुँचने के लिए ७० हजार योजन की गहराई पर जाना पड़ता है। हम अपने देश में कहीं सुरंग खोदें तो वह अमेरिका महाद्वीप के मैक्सिको, ब्राजील और होंडुरास जैसे देशों तक पहुँचेगी।

प्रथम विश्वयुद्ध के बाद एक अमेरिकी पायलट ने होंडुरास के जंगलों में कुछ अवशेष देखने की बात की, लेकिन इसके बारे में पहली पुख्ता जानकारी अमेरिकी खोजकर्ता थियोडोर मोर्डे ने १९४० में दी। इसके करीब ७० साल बाद अब होंडुरास के घने जंगलों के बीच मस्कीटिया नाम के इलाके में प्राचीन शहर के निशान मिलने शुरू हुए हैं जो लाइडार तकनीक से संभव हुआ। अमेरिका के ह्यूस्टन यूनिवर्सिटी और नेशनल सेंटर फॉर एयरबोर्न लेजर मैपिंग ने होंडुरास के जंगलों के ऊपर आधुनिक वैज्ञानिक उपकरणों की मदद से प्राचीन शहर के निशान को खोज निकाला है। ह्यूस्टन यूनिवर्सिटी के वैज्ञानिकों ने होंडुरास के जंगलों के ऊपर से उड़ते हुए अरबों लेजर तरंगें जमीन पर फेंकीं। इससे जंगल के नीचे की जमीन का 3-डी डिजिटल नक्शा तैयार हो गया। थ्री-डी नक्शे से जो आंकड़े मिले उससे जमीन के नीचे प्राचीन शहर की मौजूदगी का पता चल गया। वैज्ञानिकों ने पाया की जंगलों की जमीन की गहराइयों में मानव निर्मित कई चीजें मौजूद हैं उस प्राचीन शहर में वानर देवता की पूजा होती थी। बाद में रहस्यमय हालात में थियोडोर की मौत हो जाने से प्राचीन शहर की खोज अधूरी रह गई। वैज्ञानिकों ने मध्य अमेरिका महाद्वीप के होंडुरास में सियूदाद ब्लांका नाम के गुम प्राचीन शहर को आधुनिक लाइडार (LIDER) तकनीक से जमीन के नीचे की 3-D मैपिंग द्वारा खोज निकाला है। पूर्वोत्तर होंडुरास के घने वर्षा जंगलों के बीच मस्कीटिया में हजारों साल पहले एक फलती-फूलती सभ्यता थी, जो अचानक ही वक्त की गहराइयों में गुम हो गई। खुदाई में इस शहर के कई अवशेष मिले हैं। अमेरिकी खोजी थियोडोर मोर्डे ने बताह है कि सियूदाद के निवासी वानर देवता की पूजा करते थे। सियूदाद के वानर देवता की घुटनों के बल बैठी हाथ में गदा की तरह हथियार लिए मूर्ति को देखते ही राम भक्त हनुमान की याद आ जाती है।

वर्ष 1940 में हुई इस जानकारी की पुष्टि एसएमएस (स्कूल ऑफ मैनेजमेंट साइंसेज), लखनऊ के निदेशक व वैदिक विज्ञान केन्द्र के प्रभारी प्रो. डॉ. भरत राज सिंह ने की है। होंडुरास के जंगल की खुदाई पर प्रतिबंध के कारण इस स्थान की वास्तविक स्थिति का पता लग पाना मुश्किल है। अमेरिकी इतिहासकार मानते हैं कि पूर्वोत्तर होंडुरास के घने जंगलों के बीच मस्कीटिया नाम के इलाके में हजारों साल पहले एक गुप्त शहर सियूदाद ब्लांका का अस्तित्व था। वहां के लोग एक विशालकाय वानर मूर्ति की पूजा करते थे। प्रो. भरत ने बताया कि बंगाली रामायण में पाताल लोक की दूरी १००० योजन बताई गई है, जो लगभग १२,८०० किलोमीटर है। यह दूरी सुरंग के माध्यम से भारत व श्रीलंका की दूरी के बराबर है।
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