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रविवार, 19 मार्च 2023

सत्य साई बाबा

साई सत्य अवतार हैं, करें भक्त में वास। 
साई करें जिस पर कृपा, पल में हर लें त्रास।।
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स्वर मधुमय अस्मिता का, भाव भक्ति से पूर्ण। 
स्नेह साई का मिल सके, कष्ट सभी हों चूर्ण।।
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शारद कर सब पर कृपा, हर ले माँ अज्ञान। 
विघ्न हरें विघ्नेश सब, रहे कृपा का भान।। 
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माँ मति क्षिप्रा दे हमें, सत पाएँ हम साध। 
सेवा जीवों की सकें, माँ आजीवन साध।।
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सेवा सच्चा धर्म है, विनयधर्म का मर्म। 
नवाचार पालन करें, प्रभु अर्पित कर कर्म।।
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खुद ही खुद की जाँच कर, करो निरंतर जाप। 
प्रभु सुमिरन कर ह्रदय से, मिला जाएँ झट आप।.
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वार्ता करिए ईश से, जाप माध्यम सिद्ध। 
हैं अभिन्न परमेश्वर, रहो अर्गला बिद्ध।।
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नाम निरंतर नियम से, करें यही बलिदान। 
वहम अहं का जब मिटे, तब हो सच्चा ज्ञान।।
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करें प्रार्थना विनत हो, सदा सोचिए आप। 
क्या यह प्रभु को रुचेगा, रुचे वही निष्पाप।।
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'सा' ही है सबका पिता, 'ई' जग-मैया जान। 
जय साई जब जब कहें, हो प्रभु का गुणगान।। 
करें प्रार्थना साथ मिल, जब भी हो अवकाश। 
धरती पर मिल साथ सब, सुमिरें प्रभु आकाश।।
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सुमिरन करिए इष्ट का, प्रवहें शुभद तरंग। 
रंग भक्ति का तब चढ़े, हो न रंग में भंग।। 
मूल्याधारित पाठ पढ़, बच्चे जानें सत्य। 
उसे आचरण में बदल, कर पाते सत्कृत्य।।
भजें भजन में ईश को, जाग्रत होते चक्र।
हो जाता जीवन सरल, मिटता संकट वक्र।।
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रोग त्रास दे तभी जब, साथ न पाते आप। 
संकीर्तन में अहं तज, होता मन निष्पाप।।
करें साथ मिल जब भजन, हों अनेक स्वर एक। 
ऊर्जा चक्र अमल विमल, जाग्रत करे विवेक।।
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फेरी करें प्रभात में, तम तज वरें प्रकाश। 
सेवा पर की जो करे, काटे भव का पाश।।
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चिंता तज मुस्कान दें, खर्चा नहीं छदाम। 
जब पाएँ मुस्कान तब, समझें पूरा काम।।
जब मन में संतोष हो, संगीता हो श्वास। 
क्षिप्रा होकर चेतना, तब फैले सायास।।
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कृपा साई की है अमित, धरती उतर सुरेश। 
नर के करते बात आ, सुमिरन करें हमेश।।
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नौ सिक्के नौ भक्त हैं, या है नवधा भक्ति। 
अवतारों की आसनी, मात्र ह्रदय अनुरक्ति।।
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बाबा का सुमिरन करे, भक्त बने भगवान्। 
आत्म मिले परमात्म से, पाकर सच्चा ज्ञान।।
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चरण पड़ें कर आचरण, वरण करें सत्मार्ग। 
मरण न हो तब शोचमय, हरण 
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इक्कीसों तत्वों सहित, चक्र जागें सुन नाम। 
इच्छाओं को नियंत्रित, करें सधे सब काम।।
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संचित वंचित के लिए, करिए स्वयं न भोग। 
खुद भोजन तो रोग हो, छोड़ें मिटते रोग।।
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सबका हित साहित्य से, सधता- पढ़ लें जान। 
आत्म मिले परमात्म से, क्षार-अक्षर गुणगान।।
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सत संगत ही अर्चना, पूजन वंदन मान। 
करें निरंतर छोड़ मत, साई सँग अनुमान।।
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नर सेवा कर लीजिए, नारायण को पूज। 
भक्त और भगवन का, संगम कहीं न दूज।।
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साधन तब स्वीकारिए, जब न अहं हो साथ। 
स्वार्थ न किंचित हो जहाँ, वहीं उठेगा माथ।।
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भाव-भावना का नहीं, किंचित होता मोल। 
क्रय-विक्रय होता नहीं, जिसका वन अनमोल।।
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आत्म कीर्ति मत चाहिए, याद रहे बस लक्ष्य। 
यश की चाह न चाहिए, बनें आप खुद भक्ष्य।।
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ममता अपनापन जहाँ, वहीं बनेगी बात। 
जहाँ गैरियत वहाँ से, पाएँगे आघात।।
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रसना रस की आसनी, सरस्वती हो सिद्ध। 
केवल तब जब सरस हों, वचन स्नेह से बिद्ध।।
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जहाँ पराजय का हुआ, बिन प्रयास ही अंत। 
वही जाइए बन सकें, तब ही आप जयंत।।
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पालन-परायण करें, सकल नियम का आप। 
कौन न करता देख मत, मन को रख निष्पाप।।
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करिए मत आलोचना, उसकी जो नहिं साथ। 
जो अनुपस्थित सराहें, उसे उच्च हो माथ।।
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कहे न करता काम सब, गण साई का मौन। 
जो न करे कहता रहे, उसे सराहे कौन।।
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हो-मत हो वह साथ जो, बदल न सकता आप। 
जो बदले बेहतर बने, उसे न सकते माप।।
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जब जागे तब सवेरा, आँख मुँदी तब रात। 
साई सुमिरें जब तभी, जाने हुआ प्रभात।।
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भजन करें तो साथ हो, बात करें भगवान। 
जपें नाम नित निरंतर, प्रभु को भीतर जान।।
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वश में हों भगवान भी, अगर आप हों भक्त। 
जो प्रभु में अनुरक्त हो, उसमें प्रभु अनुरक्त।।
संत आप भगवंत है, अन्य नहीं गुणवंत। 
संत तार दे उसे भी, जिसके पाप अनंत।।
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साई राम जब जब कहें, रेखा खींचें आप।  
लेखा रखें न जाप का, मिट जाए सब शाप।।
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सेवा हित है संगठन, विघटित हो कुछ पाप। 
रहें संगठित हम सभी, हो पाएँ निष्पाप।।
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गुप्त चित्र का लेख कर, रहिए आप प्रसन्न। 
चित्रगुप्त मत पूजिए, नाश न हो आसन्न।।
कर्म श्रेष्ठ वह जो किए, कभी कहीं निष्काम। 
कर्म अधम वह जो किया, पाने कीर्ति ललाम।।
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सेवा आध्यात्मिक भजन, हों अनेक मिल एक। 
साई अनहद नाद से, जाग्रत करें विवेक।।
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मानव मूल्य रहित अगर, शिक्षा है बेकाम। 
बाल विकास वहीं जहाँ, नर-नारायण साम।।
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भूखे को भोजन करा, साईं को दें भोग। 
वंचित की सेवा करें, मिटे आतम के रोग।।
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अन्न कलश भर बाँट दें, दीनों को हँस आप। 
साई तभी प्रसन्न हों, जीवन हों निष्पाप।।
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सत्य साईं बाबा (तेलुगु: సత్య ) (जन्म: 23 नवम्बर 1926 ; मृत्यु: 24 अप्रैल 2011), पिछले लगभग 60 वर्षों से भारत के कुछ अत्याधिक प्रभावशाली अध्यात्मिक गुरुओं में से एक थे। सत्य साईं बाबा का बचपन का नाम सत्यनारायण राजू था। सत्य साईं का जन्म आन्ध्र प्रदेश के पुट्टपर्थी गांव में 23 नवम्बर 1926 को हुआ था। सिर्फ भारत ही नहीं अपितु पूरे विश्व में उनके असंख्य अनुयायी हैं। 24 अप्रैल 2011 को एक लंबी बीमारी के बाद बाबा ने चिरसमाधि ले ली। बाबा को प्रसिद्ध आध्यात्मिक गुरु शिरडी के साईं बाबा का अवतार माना जाता है।

आंध्र प्रदेश के अनंतपुर जिले में पुट्टपर्थी गांव में एक सामान्य परिवार में 23 नवम्बर 1926 को जन्मे सत्यनारायण राजू ने 20 अक्टूबर 1940 को 14 साल की उम्र में खुद को शिरडी वाले साईं बाबा का अवतार कहा। जब भी वह शिरडी साईं बाबा की बात करते थे तो उन्हें ‘अपना पूर्व शरीर’ कहते थे।

सत्य साईं बाबा की पैदाइश 23 नवंबर, 1926 को पुट्टपर्ति नाम के एक गांव में हुई थी, जो तब मद्रास प्रेसिडेंसी के अंदर आता था. सत्यनारायण राजू, सत्य साईं बाबा कैसे बने, इसको लेकर उनके भक्त एक कहानी बताते हैं. 8 मार्च, 1940 की तारीख थी जब सत्यनारायण राजू को अपने अवतार होने का अहसास हुआ. हुआ यूं कि जब उनकी उम्र 14 साल थी, उन्हें एक बिच्छू ने डंक मार लिया था, जिसके बाद वो कई घंटों बेहोश रहे. जब होश में आए, तो उनके व्यक्तित्व में आमूलचूल परिवर्तन आ चुका था. दावा किया जाता है कि इसके बाद उन्होंने अचानक संस्कृत में बोलना शुरू कर दिया था, जो कि इससे पहले न उन्होंने सुनी थी, न पढ़ी. इसके बाद उन्हें घर ले जाया गया, जहां 23 मई 1940 को उन्होंने अपने परिवार वालों को अपने सामने बुलाया और हवा में से मिठाई और फूल निकाल कर दिखाए. ये देखकर उनके पिता को काफी गुस्सा आया. ये सोचकर कि उन पर किसी भूतप्रेत का साया है, उन्होंने एक छड़ी दिखाई और सत्य साईं से असलियत बताने को कहा. तब सत्य साईं ने घोषणा की कि वो शिरडी के साईं बाबा (Sai Baba) का दूसरा अवतार हैं. तब से उन्हें सत्य साईं बाबा के नाम से जाना जाने लगा.

धीरे-धीरे उनके भक्तों की तादाद बढ़ने लगी. हर गुरूवार उनके घर में भजन की शुरुआत हुई, जो बाद में रोजाना होने लगा. 
साल 1944 में सत्य साईं के एक भक्त ने उनके गांव के नजदीक ही उनके लिए एक मंदिर बनाया, जिसे अब पुराने मंदिर के नाम से जाना जाता है. 1948 में पुट्टपर्ति में एक और आश्रम का निर्माण हुआ, जिसे प्रशाति निलयम का नाम दिया गया. और तब से यही बाबा का मुख्य आवास बन गया. इसके बाद बाबा ने पूरे भारत की यात्राएं शुरू की, जिससे उनके भक्तों की संख्या में और इजाफा हुआ. कई नामी गिरामी लोग भी इनमें शामिल थे. भक्त बताते हैं कि बाबा की प्रसिद्धि की एक वजह ये थी कि उन्होंने कभी किसी को अपना धर्म छोड़ने के लिए नहीं कहा. इसलिए उनके भक्तों में सभी धर्मों के लोग थे. हालांकि सच ये भी है कि साईं बाबा के पास आने वाले लोगों में से अधिकतर उनके दिखाए चमत्कारों से प्रभावित होकर आते थे. सत्य साईं अपने प्रवचनों के दौरान हवा में हाथ घुमाकर भभूत निकाल देते थे. और कई बार महंगी घड़ियां भीं. इन चमत्कारों के चलते बाबा का नाम खूब फेमस हुआ. लेकिन उनके साथ कई कंट्रोवर्सी भी जुड़ी.
चमत्कार या हाथ की सफाई

साल 2000 में इंडिया टुडे ने सत्य साईं पर एक कवर स्टोरी की. इस स्टोरी में जादूगर पीसी सरकार ने दिखाया कि सत्य साईं के चमत्कार बस मामूली जादूगिरी हैं. उन्होंने दिखाया कि हवा से भभूत निकलने जैसा कुछ नहीं होता था. असल में बाबा के हाथ में एक छोटी नर्म चौक का टुकड़ा होता था. जिसे मसलकर भभूत बना दी जाती थी. इसके अलावा हवा से घड़ियां निकालना भी बस हाथ की सफाई का खेल था. इंटरनेट का युग आने के बाद कई लोगों ने बाबा के वीडियोज़ की पड़ताल कर दिखाया कि तमाम चमत्कार कोई आम जादूगर भी कर सकता है. ऐसा ही एक वीडियो दूरदर्शन पर प्रसारित हुआ था. वीडियों में सत्य साईं एक आदमी को एक अवार्ड दे रहे थे. इसके बाद उन्होंने हवा में से माला निकाली और अवार्ड जीतने वाले के गले में पहना थी. लेकिन जब इस क्लिप को गौर से देखा गया तो पता चला कि एक आदमी, जिसने बाबा के हाथ में अवार्ड देने के लिए थमाया था, उसी ने उन्हें चुपके से माला भी थमा दी थी.

सत्य साईं के चमत्कारों से पर्दा उठाने वाले पहले कुछ लोगों में एक का नाम था, बासव प्रेमानंद(Basava Premanand). प्रेमानंद ने 1975 में पहली बार बाबा को चुनौती देना शुरू किया. उन्होंने 'फ़ेडरेशन ऑफ़ रैशनलिस्ट एसोसिएशन' का गठन किया और इसके माध्यम से अन्धविश्वास के खिलाफ मुहीम शुरू की. उन्होंने दावा किया कि कथित आध्यात्मिक गुरु सत्य साईंबाबा दरअसल एक 'धूर्त' हैं और उनका भंडाफोड़ होना चाहिए. साल 1993 में प्रेमानंद ने एक किताब लिखी, मर्डर इन साई बाबा’s बेडरूम. किताब में एक घटना का जिक्र था, जो जून 1993 में घटी थी. उस रोज़ बाबा के चार भक्त उनके कमरे में देर रात चाकू लेकर घुस आए थे. बाबा के निजी सहायकों ने उन्हें रोकने की कोशिश की. इस लड़ाई में बाबा के दो सहायक मारे गए. और दो को गहरी चोट आई. सत्य साईं बच निकलने में कामयाब रहे. हमलावरों से निपटने के लिए पुलिस बुलाई गई, जिसके बाद पुलिसिया कार्रवाई में चारों हमलावर मारे गए. और मामला वहीं निपटा दिया गया.

बासव प्रेमानंद इस मामले को अदालत में ले गए. और दावा किया कि सरकार के दबाव में इस मामले की तहकीकात रोक दी गई. वरना बाबा के कई गंभीर रहस्य दुनिया के सामने आ जाते. सत्य साईं हवा से सोने की अंगूठी और चेन निकाला करते थे. इस मामले पर प्रेमानंद ने उन पर अदालत में गोल्ड कंट्रोल एक्ट के तहत मुकदमा किया. और अदालत में दलील दी कि साईं बाबा द्वारा पैदा किया सोना अवैध की श्रेणी में आता है. हालांकि इन दोनों मामलों को अदालत के द्वारा निरस्त कर दिया गया. प्रेमानंद के अलावा ऐसे और भी कई लोग हैं जिन्होंने सत्य साईं पर गंभीर आरोप लगाए हैं.
यौन उत्पीड़न के लगे आरोप

साल 1976 में एक अमेरिकी नागरिक ट्रॉल बुक ने एक किताब में दावा किया कि बाबा ने उनका यौन शोषण किया था. हालांकि सत्यसाई बाबा के संगठन ने इसका खंडन किया. साल 2000 में एक ऑस्ट्रियाई बैंकर डि क्रेकर ने ‘द सन्डे एज’ नामक अखबार को बताया,


"मैंने भारतीय परम्पराओं के हिसाब से ही उनके पैर छुए. उन्होंने मेरा सिर पकड़ लिया और अपनी जांघों के बीच ले गए. उन्होंने कराहने की आवाज निकाली. वही आवाज़ जिसने मेरे शक को यकीन में बदल दिया. उनकी पकड़ जैसे ही ढीली हुई, मैंने अपना सिर उठाया. बाबा ने अपने कपड़े उठाकर मुझे अपना प्राइवेट पार्ट दिखाया. और कहा कि मेरी क़िस्मत अच्छी है. उन्होंने अपना कूल्हा मेरे मुंह से सटा दिया. तब मैंने तय किया कि मुझे इनके खिलाफ़ बोलना है.”

स्वीडन में रहने वाले कोनी लारसन ने टेलिग्राफ से बात करते हुए बताया कि एक निजी मुलाक़ात के दौरान बाबा ने उनका यौन उत्पीड़न किया था. ऐसी कहानियां सिर्फ एक-दो तक सीमित नहीं हैं.

सत्यनारायण राजू ने शिरडी के साईं बाबा के पुनर्जन्म की धारणा के साथ ही सत्य साईं बाबा के रूप में पूरी दुनिया में ख्याति अर्जित की। सत्य साईं बाबा अपने चमत्कारों के लिए भी प्रसिद्ध रहे और वे हवा में से अनेक चीजें प्रकट कर देते थे और इसके चलते उनके आलोचक उनके खिलाफ प्रचार करते रहे।

प्रारंभिक जीवन में सत्यनारायण राजू को ‘असामान्य प्रतिभा’ वाले परोपकारी बालक की संज्ञा दी गयी। नाटक, संगीत, नृत्य और लेखन प्रतिभा वाले इस बालक ने अनेक कविताएं और नाटक लिखे। गायक के रूप में भी उनकी पहचान बनी और उनके भजनों की अनेक सीडी आईं। सत्य साईं बाबा के अनुयायियों ने 1944 में पुट्टपर्थी में एक छोटा मंदिर बनवाया और 1950 में एक विशाल आश्रम बनाया गया जो ‘प्रशांति निलयम’ के तौर पर उनका स्थाई केंद्र बन गया।

आंध्र प्रदेश में 20 वी सदी के वक्त बहोत बुरा अकाल पड़ा था तब भगवान श्री सत्यसाई बाबाजी ने लगभग 750 गांवो के लिए पानी की व्यवस्था की थी।

आम आदमी से लेकर राष्ट्रपति तक उनके भक्तों में शामिल रहे हैं, लेकिन पुट्टपर्थी के सत्य साईं बाबा के आध्यात्मिक प्रभाव के साथ ही उनसे विवाद भी जुड़े रहे हैं। भारत में अनेक आध्यात्मिक संत हुए और हैं, लेकिन माना जाता है कि सत्य साईं बाबा के नाम और प्रसिद्धि की बराबरी शायद ही कोई कर सके।

सत्य साईं बाबा का असर पूरी दुनिया में फैला हुआ है और भारत के अलावा विदेशों में भी उनके लाखों भक्त हैं। बाबा के नामचीन भक्तों में प्रधानमंत्री, केंद्रीय मंत्री, राज्यपाल, मुख्यमंत्री समेत आला दर्जे के नेता, फिल्मी सितारे, उद्योगपति और खिलाड़ी शामिल रहे हैं। आंध्र प्रदेश का छोटा-सा गाँव पुट्टपर्थी अंतरराष्ट्रीय नक्शे पर छा गया और इसकी वजह है कि बाबा के आध्यात्मिक स्थल प्रशांति निलयम में दिन-रात विदेशी भक्त आते जाते रहे हैं। इस कस्बे में एक विशेष हवाई अड्डे पर दुनिया के अनेक हिस्सों से बाबा के भक्तों के चार्टर्ड विमान उतरते रहे हैं।

सत्य साईं बाबा के आश्रम में कथित स्कैंडलों की भी खबरें सामने आईं। उनके खिलाफ यौन व्यवहार संबंधी सवाल भी खड़े होते रहे, लेकिन उन्होंने व उनके भक्तों ने इसे उनके विरोधियों की साजिश कहकर खारिज किया।

बाबा ने आध्यात्मिक उपदेशों के साथ ही सामाजिक क्षेत्र में भी अनेक सेवा कार्य किये। जिनकी शुरुआत पुट्टपर्थी में एक छोटे से अस्पताल के निर्माण के साथ हुई, जो अब 220 बिस्तर वाले सुपर स्पेशलिटी सत्य साई इंस्टीट्यूट ऑफ हायर मेडिकल साइंसेस का रूप ले चुका है।

इसके अलावा बंगलूरु के बाहरी इलाके में 333 बिस्तर वाला एक और सुपर स्पेशलिटी अस्पताल एस.एस.आई.एच.एम.एस. खोला गया। यहाँ बाबा का ग्रीष्मकालीन केंद्र वृंदावन है। सत्य साई सेंट्रल ट्रस्ट इन सभी सामाजिक सेवा गतिविधियों को देखता है और पुट्टपर्थी में सत्य साई विश्वविद्यालय भी संचालित करता है। इसके अलावा यह ट्रस्ट अलग अलग प्रदेशों में अनेक स्कूलों और डिस्पेंसरियों का भी संचालन करता है। सत्य साई सेंट्रल ट्रस्ट ने आंध्र प्रदेश, तमिलनाडु और महाराष्ट्र में बड़ी जल आपूर्ति परियोजनाओं पर भी काम किया है। सत्य साईं सेवा संगठन के स्वयंसेवक आंध्र प्रदेश ही नहीं बल्कि देश के अन्य हिस्सों में प्राकृतिक आपदाओं के वक्त राहत व पुनर्वास कार्यों में भी आगे से आगे सेवाकार्य करते देखे जा सकते हैं।

सत्य साईं बाबा ने भारत में तीन मंदिर भी स्थापित किये, जिनमें मुंबई में धर्मक्षेत्र, हैदराबाद में शिवम और चेन्नई में सुंदरम है। इनके अलावा दुनियाभर के 114 देशों में सत्य साई केंद्र स्थित हैं।

सत्य साईं बाबा ने 1957 में उत्तर भारत के मंदिरों का भ्रमण किया और अपनी एक मात्र विदेश यात्रा पर 1968 में युगांडा गये। सत्य साईं बाबा ने 1963 में चार बार गंभीर हृदयाघात का सामना किया था। वर्ष 2005 से ही बाबा व्हीलचेयर पर थे और खराब स्वास्थ्य के कारण बहुत कम ही सार्वजनिक कार्यक्रमों में आते थे। वर्ष 2006 में बाबा को कूल्हे में फ्रेक्चर हो गया जब लोहे के स्टूल पर खड़े एक विद्यार्थी के फिसलने से वह और स्टूल दोनों ही बाबा पर गिर गये। वह अपने भक्तों को कार से या पोर्ट चेयर से दर्शन देते थे।

सत्‍य साईं बाबा का निधन24 अप्रैल 2011, रविवार सुबह 7 बजकर 40 मिनट पर हुआ। पिछले एक माह से अस्‍पताल में भर्ती थे। सुबह के वक्‍त ही उनके परिजन उनके दर्शन के लिए अस्‍पताल पहुँचे। पहले स्‍थानीय टीवी चैनलों ने खबर दी कि सत्‍य साईं का निधन हो चुका है। इसके थोड़ी देर बाद उनके निधन की आधिकारिक पुष्टि कर दी गई।

साल 2004 में बीबीसी ने 'सीक्रेट स्वामी' के नाम से एक डॉक्यूमेंटरी फ़िल्म रिलीज़ की. इस फिल्म में अलाया राम और मार्क रोश नाम के दो व्यक्तियों ने सत्य साईं पर यौन शोषण का इल्जाम लगाया था. फिल्म में दोनों बताते हैं कि सत्यसाईं बाबा ने अपने हाथों से उनके प्राइवेट पार्ट्स पर तेल लगाया. सत्य साईं के भक्त कहते हैं कि बाबा के ऊपर इल्जाम लगाने वाले विदेशी लोग थे. और ऐसा साजिशन बाबा को बदनाम करने के लिए किया गया था. खुद सत्य साईं ने भी इन इल्जामों पर कहा था कि जीजस को भी उनके एक शिष्य ने धोखा दे दिया था. इस पर सत्य साईं के खिलाफ लम्बी मुहीम चलाने वाले बासव प्रेमानंद का कहना था कि बाबा के शोषण का शिकार होने वाले भारतीय भी थे लेकिन वो सामने आने से डरते थे.

कई जानी-मानी हस्तियां थी भक्तों में शामिल

सत्य साईं बाबा पर इन तमाम इल्जामों के बावजूद उनकी प्रसिद्धि में कोई कमी नहीं आई. जीते जी, कई पूर्व प्रधानमंत्री, जज, सेना के जनरल, दक्षिण भारत के पुत्तपार्थी स्थित आश्रम में सत्य साईं से 'आशीर्वाद' लेने जाते रहे. ऐश्वर्या राय. सचिन तेंदुलकर. सुनील गावस्कर, अर्जुन रणतुंगा, सनथ जयसूर्या, निर्मल चन्द्र सूरी, गुंडप्पा विश्वनाथ जैसी हस्तियां भी इन लोगों में शामिल थीं. इतना ही नहीं पूर्व प्रधानमंत्री अटलबिहारी वाजपेयी ने तो एक बार लेटरहैड पर लिखकर दे दिया था कि साईबाबा पर लगाए जा रहे आरोप "ग़ैर ज़िम्मेदाराना और मनगढ़ंत" थे. श्री सत्य साईं बाबा की जिंदगी का एक दूसरा पक्ष भी था, जिसके चलते तमाम लोग उनकी सरहाना भी करते हैं. साल 1971 में सत्य साईं ने एक ट्रस्ट की स्थापना की. और ट्रस्ट के माध्यम से गरीबों के लिए मुफ्त के चिकित्सालय और शिक्षा केंद्र बनाए. 1995 में उन्होंने पीने के पानी की आपूर्ति के लिए एक परियोजना शुरू की. और पूर्वी और पश्चिमी गोदावरी जिलों में पानी पहुंचाया. इसके अलावा उन्होंने पुट्टापर्ति और बंगलौर में बड़े अस्पताल भी बनाए. साल 1991 में पुट्टापर्ति में 150 एकड़ भूमि पर सत्य साईं ट्रस्ट ने एक हवाई अड्डे का निर्माण किया था.

“मैं कोई चमत्कार करने वाला नहीं हूँ. कुछ घटनाएं हमारी इंद्रियों को चकरा देती हैं लेकिन वे भी प्राकृतिक नियमों के अनुसार घटित होती हैं. लेकिन मन वशीभूत होकर उन्हें सच मान बैठता है. इसका धर्म से कुछ लेना देना नहीं है. भारत में की जाने वाली अजीब चीजें, जिन्हें फॉरेन मीडिया रिपोर्ट करता है. महज हाथ की सफाई और सम्मोहन है. बुद्धिमान पुरुष कभी भी इस तरह की मूर्खता में शामिल नहीं होते”.

स्वामी जी तो कह गए, लेकिन चमत्कार फिर चमत्कार है. प्रकृति के नियमों खिलाफ कोई कुछ करके दिखा दे तो वो भगवान हो जाता है. हालांकि कोई पूछता नहीं कि अगर नियम बनाए हैं, तो कोई ईश्वर उन्हें खुद क्यों तोड़ेगा. बहरहाल इसका भी जवाब मौजूद है. ईश्वर है, वो कुछ भी कर सकता है. तमाम धर्मों, संप्रदायों और देशों में ऐसे तमाम लोग हुए हैं, जिन्होंने दावा किया कि वो चमत्कार कर सकते हैं. आज से 70 -80 साल पहले ऐसे दावों को ठुकराना मुश्किल था. लेकिन 21 वीं सदी इंटरनेट की सदी है. हर चीज को जांचा परखा जाता है. इसलिए अब चमत्कार के वीडियोज़ मुश्किल से दिखाई देते हैं.

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