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मंगलवार, 5 अप्रैल 2022

दोहा यमक, यमक दोहा, सॉनेट

सॉनेट
उम्मीद
गर उम्मीद तुम्हारे मन में
हर दिन होली, रात दिवाली
वीराने में भी हरियाली
खुशियाँ बसतीं मनुज मगन में।

हरि देखे, प्रह्लाद अगन में
विष पी, मीरा मुख पर लाली
सींचे धरती बाबुल माली
मंज़िल की छवि दिखे जतन में।

शिव तज अमिय पिएँ विष-प्याली
राधा-मन में लख वनमाली
संतति पाले बाबुल माली।

थकन न लगती तनिक जतन में
पुण्य-पाप मिल-जलें हवन में
गर उम्मीद तुम्हारे मन में।
५-४-२०२२
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सॉनेट
उड़ान
मन में यदि संकल्प महान
तन में तेरे है यदि जान
शीश उठा, सीना लो तान
पर फैलाकर देख वितान।

खाई की गहराई देख
दूर क्षितिज पर लाली लेख
पैर जमा रख चुभे न मेख
रोक न पाए कोई रेख।

घाटी की गहराई माप
विस्तृत नभ चौड़ाई नाप
पर्वत ऊँचा देख न काँप
कमतर तनिक न तेरा आप।

कर भी दे अब शर-संधान
छोटा नभ, हो बड़ी उड़ान।
५-४-२०२२
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गले मिले दोहा यमक
*
काहे को रोना मचा, जीना किया हराम
कोरोना परदेश से, लाये ख़ास- न आम
बिना सिया-सत सियासत, है हर काम सकाम
काम तमाम न काम का, बाकी काम तमाम
हेमा की तस्वीर से, रोज लड़ाते नैन
बीबी देखे झट कहें, हे मा! मन बेचैन
बौरा-गौरा को नमन, करता बौरा आम.
खास बन सके, आम हर, हे हरि-उमा प्रणाम..
देख रहा चलभाष पर, कल की झलकी आज.
नन्हा पग सपने बड़े, कल हो कल का राज..
५-४-२०२०
***
खबरदार कविता:
खबर: हमारी सरहद इंच-इंच कर कब्ज़ा किया जा रहा है.
दोहा गजल:
असरकार सरकार क्यों?, हुई न अब तक यार.
करता है कमजोर जो, 'सलिल' वही गद्दार..
*
अफसरशाही राह का, रोड़ा- क्यों दरकार?
क्यों सेना में सियासत, रोके है हथियार..
*
दें जवाब हम ईंट का, पत्थर से हर बार.
तभी देश बच पायेगा, चेते अब सरकार..
*
मानवता के नाम पर, रंग जाते अखबार.
आतंकी मजबूत हों, थम जाते हथियार..
*
५-४-२०१०

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