मुक्तक
खिलखिलाती रहो, चहचहाती रहो
जिंदगी में सदा गुनगुनाती रहो
मेघ तम के चलें जब गगन ढाँकने
सूर्य को आईना हँस दिखाती रहो
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गए मिलने गले पड़ने नहीं,पर तुम न मानोगे.
दबाने-काटने के जुर्म में, बंदूक तानोगे.
चलाओ स्वच्छ भारत का भले अभियान हल्ला कर-
सियासत कीचड़ी कर, हाथ से निज पंक सानोगे
दबाने-काटने के जुर्म में, बंदूक तानोगे.
चलाओ स्वच्छ भारत का भले अभियान हल्ला कर-
सियासत कीचड़ी कर, हाथ से निज पंक सानोगे
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द्विपदी
ग़ज़ल कहती न तू आ भा, ग़ज़ल कहती है जी मुझको
बताऊँ मैं उसे कैसे, जिया है हमेशा तुझको
बताऊँ मैं उसे कैसे, जिया है हमेशा तुझको
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न बारिश तुम इसे समझो, गिरा है आँख से पानी.
जो आहों का असर होगा, कहाँ जाओगे ये सोचो.
जो आहों का असर होगा, कहाँ जाओगे ये सोचो.
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न केवल बात में, हालात में भी है वहाँ सीलन
जहाँ फौजों के साए में, चुनावी जीत होती है
जहाँ फौजों के साए में, चुनावी जीत होती है
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दोहे
डर से डर ही उपजता, मिले स्नेह को स्नेह.
निष्ठा पर निष्ठा अडिग, सम हो गेह-अगेह.
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मन के मनसबदार! तुम, कहो हुए क्यों मौन?
तनकर तन झट झुक गया, यहाँ किसी का कौन?
तनकर तन झट झुक गया, यहाँ किसी का कौन?
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हम सब कारिंदे महज, एक राम दीवान
करा रहा वह; भ्रम हमें, अपना होता मान
करा रहा वह; भ्रम हमें, अपना होता मान
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वही द्विवेदी जो पढ़े, योग-भोग दो वेद.
अंत समय में हो नहीं, उसको किंचित खेद.
अंत समय में हो नहीं, उसको किंचित खेद.
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शोक न करता जो कभी, कहिए उसे अशोक.
जो होता होता रहे, कोई न सकता रोक
जो होता होता रहे, कोई न सकता रोक
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जहाँ अँधेरा घोर हो, बालें वहीं प्रदीप
पल में तम कर दूर दे, ज्यों मोती सह सीप
पल में तम कर दूर दे, ज्यों मोती सह सीप
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विजय भास्कर की तभी, तिमिर न हो जब शेष
ऊषा दुपहर साँझ को, बाँटे नेह अशेष
ऊषा दुपहर साँझ को, बाँटे नेह अशेष
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चमक रहे चमचे चतुर, गोल-मोल हर बात
पोल ढोल की खुल रही, नाजुक हैं हालात
पोल ढोल की खुल रही, नाजुक हैं हालात
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सेना नौटंकी करे, कहकर आम चुनाव.
जिसको चाहे लड़ा दे, डगमग है अब नाव
जिसको चाहे लड़ा दे, डगमग है अब नाव
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