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शनिवार, 6 जुलाई 2019

दोहा: गुरु महिमा

गुरु महिमा 
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जीवन के गुर सिखाकर, गुरु करता है पूर्ण 
शिष्य बिना गुरु,शुरू बिना रहता शिष्य अपूर्ण 
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गुरु उसको ही जानिए, जो दे ज्ञान-प्रकाश
आशाओं के विहग को, पंख दिशा आकाश
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नारायण-आनंद का, माध्यम कर्म अकाम
ब्रम्हा-विष्णु-महेश ही, कर्मदेव के नाम
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गुरु को अर्पित कीजिये, अपने सारे दोष
लोहे को सोना करें, गुरु पाये संतोष
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गुरु न गूढ़, होता सरल, क्षमा करे अपराध
अहंकार-खग मारता, ज्यों निष्कंपित व्याध
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