कुल पेज दृश्य

शनिवार, 15 जून 2013

doha salila hindi salil

दोहा सलिला
हिंदी नगपति हिमालय
संजीव
*
हिंदी नगपति हिमालय, बन छूती आकाश
हो नदीश नित तोड़ती, सीमाओं के पाश
*
हिंदी में रजनीश ने, दिया अनूठा ज्ञान
मिला महर्षि महेश से, दिव्य वेद विज्ञान
*
हिंदी ने युग-युग किया, वाणी का श्रृंगार
राष्ट्र अस्मिता बचने, दहकी बन अंगार
*
हिंदी है जनतंत्र के जन-जन की आवाज़
कोटि-कोटि कंठों बसी, करे ह्रदय पर राज
*
हिंदी दिल से दिल मिला, मिटा रही तकरार
हाथ मिला, पग साथ  धर, बांटो-पाओ प्यार
*

कोई टिप्पणी नहीं: