कविता:
प्रश्न
एस. एन. शर्मा 'कमल'
तब तुम क्या करोगे
आकाश में मेघों का
बिछौना बिछाकर
जब मैं सो जाऊँगा
तब तुम क्या करोगे
प्रश्न
एस. एन. शर्मा 'कमल'
तब तुम क्या करोगे
आकाश में मेघों का
बिछौना बिछाकर
जब मैं सो जाऊँगा
तब तुम क्या करोगे
मेघ तो बरसेंगे ही
उफनती नदी पर भी
बहा ले जायेगी हमें
महासागर के तल पर
लहरों में कहीं दबा देगी
तब तुम क्या करोगे
उफनती नदी पर भी
बहा ले जायेगी हमें
महासागर के तल पर
लहरों में कहीं दबा देगी
तब तुम क्या करोगे
सागर-जल बनेगा बादल
चल पड़ेगा हमें ले कर
तुम्हारे आँगन की ओर
बरस जायेगा वहाँ पर
कविता बिछ जायेगी
एक धुन बस जायेगी
चल पड़ेगा हमें ले कर
तुम्हारे आँगन की ओर
बरस जायेगा वहाँ पर
कविता बिछ जायेगी
एक धुन बस जायेगी
तब तुम क्या करोगे
बटोर कर फेंक दोगे
बाहर कूड़े में कहीं तुम
मेरा बीज अंकुरित हो
एक विटप बन जाएगा
एक विटप बन जाएगा
कविता के पात होंगे
गीतों की गंध होगी
गुजरोगे उधर से जब
गुजरोगे उधर से जब
तब तुम क्या करोगे
घड़ी भर ठहर जाना
पातों के बजते गीत
हवा में लय की सुगंध
बरबस कदम रोकेगी
स्मृतियों की गांठें जब
एक एक खुलने लगेंगी
तब तुम क्या करोगे
हवा में लय की सुगंध
बरबस कदम रोकेगी
स्मृतियों की गांठें जब
एक एक खुलने लगेंगी
तब तुम क्या करोगे
एक आँसू गिरा देना
मीत मेरे
गाये गीत
मन में गुनगुना लेना
तृप्त हो जाऊँगा मैं
और तुम चल पड़ोगे
तब तुम क्या करोगे
******************
sn Sharma <ahutee@gmail.com>
10 टिप्पणियां:
क्या करेंगे?...ऐसी बढ़िया रचना बार-बार पढ़कर करतल ध्वनि करेंगे.
Surender Bhutani
A very sensitive poem indeed.
lkahluwalia@yahoo.com
आ. कमल जी ,
आपके 'प्रश्न' पर नि:शब्द हूँ | सराहना के योग्य भी शब्द नही, ये उससे परे की बात है |
ऐसी मन:स्थिती हर व्यक्ति की होती है, पर क्या वे शब्दों में उतार पाते हैं ..?
एक प्रश्न ये भी है, कि ऐसी मन:स्थिति का क्या तोड़ है ...? हाँ ... बात कह कर जी तो हल्का हो ही जाता है |
अपनी सेहत का ख्याल रखेँ ...
सादर
~ 'आतिश'
- sosimadhu@gmail.com
प्रश्न पूछती भावूक कविता को नमन
मधु
pranavabharti@gmail.com द्वारा yahoogroups.com
आ. दादा
मन की भीतरी तहों में शब्दश: उतरती कविता |
कभी मेरे,कभी किसी और के ,कभी सबके मन की
बात कानों में गुंफित होती है"तुम क्या करोगे?"
शाश्वत प्रश्नों की झालर से सजी उत्कृष्ट रचना हेतु...........
सादर वंदन
प्रणव भारती
- chaitanyajee1976@yahoo.co.in
कमल दादा!
निःसंदेह यह कविता भावों से परिपूर्ण, अर्थमय, गीतमय व अत्यन्त ही मधुकर है|
अनेकानेक साधुवाद,
चैतन्य
vijay ✆ vijay2@comcast.net द्वारा yahoogroups.com
आ० कमल जी,
मार्मिक भावों से सजी एक बहुत ही उत्कृष्ट कविता मन को छू गई ।
ऐसी विरली कविताएँ हम संजोए रखते हैं और बार-बार पढ़ते हैं ।
साधुवाद ही नहीं, अतिशय धन्यवाद यह भाव बरसाने के लिए ।
विजय
drdeepti25@yahoo.co.in
आदरणीय दादा,
शाश्वत प्रश्न लिए अलौकिक बिम्ब बनाती इस कविता के लिए ढेर सराहना स्वीकार करें !
सादर,
दीप्ति
pindira77@yahoo.co.in द्वारा yahoogroups.com
भावों में डुबो देने वाली कविता | ‘सच तुम क्या करोगे ‘, लगता है सबके मन की आवाज है|
सादर इन्दिरा
sn Sharma ✆ ahutee@gmail.com द्वारा yahoogroups.com
आ०आचार्यजी,ललितजी,सुरेंदर जी, विजयजी,एवं
बहन मधु जी, प्रणव जी, इंदिरा जी, संतोषजी,व दीप्ति जी ,
कविता " प्रश्न " पर आपकी प्रतिक्रियाओं के लिये आभारी हूँ |
स्नेह बना रहे |
कमल दादा
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