कुल पेज दृश्य

मंगलवार, 10 जनवरी 2012

सँग चले दोहा-यमक: --संजीव 'सलिल'

सँग चले दोहा-यमक
संजीव 'सलिल'
*
चल न अकेले चलन है, चलना सबके साथ.
कदममिलाकर कदम से, लिये हाथ में हाथ..
*
सर गम हो अनुभव अगर, सरगम दे आनंद.
झूम-झूमकर गाइए, गीत गजल नव छंद..
*
कम ला या ज्यादा नहीं, मुझको किंचित फ़िक्र.
कमला-पूजन कर- न कर, धन-संपद का ज़िक्र..
*
गमला ला पौधा लगा, खुशियाँ मिलें अनंत.
गम लाला खो जायेंगे, महकें दिशा-दिगंत..
*
ग्र कोशिश चट की नहीं, होगी मंजिल दूर.
चटकी मटकी की तरह, सृष्टि लगे बेनूर..
*
नाम रखा शिशु का नहीं, तो रह अज्ञ अनाम.
नाम रखा यदि बड़े का, नाम हुआ बदनाम..
*
लाला ला ला कह मँगे, माखन मिसरी खूब.
मैया प्रीत लुटा रहीं, नेह नर्मदा डूब..
*
आँसू जल न बने अगर, दिल की जलन जनाब.
मिटे न कम हो तनिक भी, टूटें पल में ख्वाब..
*
छप्पर छाया तो मिली, सिर पर छाया मीत.
सोजा पाँव पखार कर, घर हो स्वर्ग प्रतीत..
*
Acharya Sanjiv verma 'Salil'
http://divyanarmada.blogspot.com
http://hindihindi.in



कोई टिप्पणी नहीं: