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बुधवार, 6 जनवरी 2010

सरस्वती वंदना : २ संजीव 'सलिल'

सरस्वती वंदना : २


संजीव 'सलिल'

*

हे हंसवाहिनी!, ज्ञानदायिनी!!

अम्ब विमल मति दे...

*

जग सिरमौर बने माँ भारत.

सुख-सौभाग्य करे नित स्वागत.

नव बल-विक्रम दे...

*

साहस-शील ह्रदय में भर दे.

जीवन त्याग-तपोमय कर दे.

स्वाभिमान भर दे...

*

लव-कुश, ध्रुव-प्रह्लाद हम बनें.

मानवता का त्रास-तम हरें.

स्वार्थ विहँस तज दें...

*

दुर्गा, सीता, गार्गी, राधा.

घर-घर हों, काटें हर बाधा.

सुख-समृद्धि सरसे...

*

नेह-प्रेम की सुरसरि पावन.

स्वर्गोपम हो राष्ट्र सुहावन.

'सलिल' निरख हरषे...

***

दिव्यनर्मदा.ब्लागस्पाट.कॉम

Acharya Sanjiv Salil

http://divyanarmada.blogspot.com/

3 टिप्‍पणियां:

डॉ. मनोज मिश्र : ने कहा…

डॉ. मनोज मिश्र ने आपकी पोस्ट " सरस्वती वंदना : २ -संजीव 'सलिल' " पर एक टिप्पणी छोड़ी है:

अति सुंदर .

डॉ. मनोज मिश्र

KusumThakur ने कहा…

Kusum Thakur ने आपकी पोस्ट " सरस्वती वंदना : २ -संजीव 'सलिल' " पर एक टिप्पणी छोड़ी है:

बहुत ही अच्छी लगी , यह सरस्वती वन्दना .

Kusum Thakur

pratapsingh1971@gmail.com ने कहा…

सरस्वती वंदना संजीव 'सलिल'

आदरणीय आचार्य जी

अति सुन्दर !
निराला जी याद आ गये - वर दे वीणा वादिनी.... वर दे !

सादर
प्रताप