गीत
अमन दलाल
जिन्दगी के नए रंग छान्टेंगे
गम सबके जब संग बाँटेंगे....
ये ग़म के बदल जीवन में
रोज आने जाने हैं.
फिर भला दीपो में जलते,
कयू नादान [नादाँ] परवाने हैं.
कोसो न अपनी किस्मत को,
रोशन होने दो मेहनत को,
अपने इरादों की रहमत को,
ये बादल खुद-ब-खुद छाटेंगे,
गम सबके जब संग बाँटेंगे.....
कहोगे गर तुम ग़म अपने,
हो कोई मुश्किल या हो सपने
हम चलेंगे लेकर वहां पर
सपने बनते हो जहाँ पर,
भर देंगे नए रंग नस्लों में.
खुशिया महकेगी फसलो में,
जो बोयेंगे,वो काटेंगे,
ग़म सबके जब संग बाँटेंगे....
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जीवन के नए रंग छान्टेंगे.
दिव्य नर्मदा : हिंदी तथा अन्य भाषाओँ के मध्य साहित्यिक-सांस्कृतिक-सामाजिक संपर्क हेतु रचना सेतु A plateform for literal, social, cultural and spiritual creative works. Bridges gap between HINDI and other languages, literature and other forms of expression.
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रविवार, 16 अगस्त 2009
गीत: नए रंग छान्टेंगे --अमन दलाल
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गीत: नए रंग छान्टेंगे --अमन दलाल
आचार्य संजीव वर्मा सलिल
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2 टिप्पणियां:
अमन अमन के रंग से, महकेगा यह देश.
चमन ख़ुशी से हो भरा, खुशियाँ मिलें अशेष.
badhiya
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