हे करुणासिन्धु भगवन!
हे करुणासिन्धु भगवन! तुम प्रेम से मिल जात हो.
श्याम सुंदर सांवरे दो दरस, क्यों तड़फात हो?
द्रौपदी की विनय सुन, धाये थे सब को छोड़कर.
प्रेम से हे नाथ! तुम भी, भक्तवश हो जात हो.
भगत धन्ना जाट की, खाई थी रूखी रोटियां.
ग्वाल-बल साथ मिल, माखन भी प्रभु चुरात हो.
संसार के कल्याण-हित, मारा था प्रभु ने कंस को.
भक्त को भवसागरों से, पार तुम्हीं लगात हो.
'शान्ति' हो बेआसरा, डीएम तोड़ती मंझधर में.
है आस तुम्हारे दरस की, काहे न झलक दिखात हो.
*********
श्यामसुंदर नन्दलाल
श्यामसुंदर नन्दलाल अब दरस दिखाइये.
तरस रहे प्राण इन्हें और न तरसाइए...
त्याग गोकुल और मथुरा जाके द्वारिका बसे.
सुध बिसारी कहे हमरी, ऊधोजी बताइए...
ज्ञान-ध्यान हम न जानें, नेह के नाते को मानें.
गोपियाँ सारी दुखारी, बंसरी बजाइए...
टेरती जमुना की, फूले ना कदम्ब टेरे.
खो गए गोपाल कहाँ? दधि-मखन चुराइए...
हे सुदामा! कृष्ण जी को हाल सब बताइये.
'शान्ति' है अशांत, दरश दे सुखी बनाइये...
*********
दिव्य नर्मदा : हिंदी तथा अन्य भाषाओँ के मध्य साहित्यिक-सांस्कृतिक-सामाजिक संपर्क हेतु रचना सेतु A plateform for literal, social, cultural and spiritual creative works. Bridges gap between HINDI and other languages, literature and other forms of expression.
कुल पेज दृश्य
गुरुवार, 13 अगस्त 2009
श्री कृष्ण जन्माष्टमी पर विशेष भजन: स्व. शान्ति देवी वर्मा
चिप्पियाँ Labels:
कृष्ण,
भजन,
राधा,
स्व. शान्ति देवी
करें वंदना-प्रार्थना, भजन-कीर्तन नित्य.
सफल साधना हो 'सलिल', रीझे ईश अनित्य..
शांति-राज सुख-चैन हो, हों कृपालु जगदीश.
सत्य सहाय सदा रहे, अंतर्मन पृथ्वीश..
गुप्त चित्र निर्मल रहे, ऐसे ही हों कर्म.
ज्यों की त्यों चादर रखे,निभा'सलिल'निज धर्म.
सदस्यता लें
टिप्पणियाँ भेजें (Atom)
3 टिप्पणियां:
mn ko chhoote hue smadhur bhajan.
nice
saras - madhur bhajan
एक टिप्पणी भेजें