कहमुकरी
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मन की बात अनकही कहती
मधुर सरस सुधियाँ हँस तहती
प्यास बुझाती जैसे सरिता
क्या सखि वनिता?
ना सखि कविता।
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लहर-लहर पर लहराती है।
कलकल सुनकर सुख पाती है।।
मनभाती सुंदर मन हरती
क्या सखि सजनी?
ना सखि नलिनी।
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नाप न कोई पा रहा।
सके न कोई माप।।
श्वास-श्वास में रमे यह
बढ़ा रहा है ताप।।
क्या प्रिय बीमा?
नहिं प्रिये, सीमा।
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१०-३-२०२२
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देवर आये खेलने, भौजी से रंग आज
भाई ने दे वर रंगा, भागे बिगड़ा काज
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होली पर चढ़ाए भाँग, लबों से चुआए पान, झूम-झूम लूट रहे रोज ही मुशायरा
शायरी हसीन करें, तालियाँ बटोर चलें, हाय-हाय करती जलें-भुनेंगी शायरा
फख्र इरफान पै है, फन उन्वान पै है, बढ़ता ही जाए रोज आशिकों का दायरा
कत्ल मुस्कान करे, कैंची सी जुबान चले, माइक से यारी है प्यारा जैसे मायरा
१०-३-२०२०
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नैन पिचकारी तान-तान बान मार रही, देख पिचकारी मोहे बरजो न राधिका
आस-प्यास रास की न फागुन में पूरी हो तो, मुँह ही न फेर ले साँसों की साधिका
गोरी-गोरी देह लाल-लाल हो गुलाल सी, बाँवरे से साँवरे की कामना भी बाँवरी-
बैन से मना करे, सैन से न ना कहे, नायक के आस-पास घूम-घूम नायिका
१०-३-२०१७
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गीत:
ओ! मेरे प्यारे अरमानों,
आओ, तुम पर जान लुटाऊँ.
ओ! मेरे सपनों अनजानों-
तुमको मैं साकार बनाऊँ...
मैं हूँ पंख उड़ान तुम्हीं हो,
मैं हूँ खेत, मचान तुम्हीं हो.
मैं हूँ स्वर, सरगम हो तुम ही-
मैं अक्षर हूँ गान तुम्हीं हो.
ओ मेरी निश्छल मुस्कानों
आओ, लब पर तुम्हें सजाऊँ..
मैं हूँ मधु, मधु गान तुम्हीं हो.
मैं हूँ शर संधान तुम्हीं हो.
जनम-जनम का अपना नाता-
मैं हूँ रस रसखान तुम्हीं हो.
ओ! मेरे निर्धन धनवानों
आओ! श्रम का पाठ पढाऊँ...
मैं हूँ तुच्छ, महान तुम्हीं हो.
मैं हूँ धरा, वितान तुम्हीं हो.
मैं हूँ षडरसमधुमय व्यंजन.
'सलिल' मान का पान तुम्हीं हो.
ओ! मेरी रचना संतानों
आओ! दस दिश तुम्हें गुंजाऊँ...
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दोहा
आँखमिचौली खेलते, बादल सूरज संग.
यह भागा वह पकड़ता, देखे धरती दंग..
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पवन सबल निर्बल लता, वह चलता है दाँव .
यह थर-थर-थर काँपती, रहे डगमगा पाँव ..
१०-३-२०१०
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