मुक्तक
चोट खाते हैं जवांदिल, बचाते हैं और को
खुद न बदलें, बदलते हैं वे तरीके-तौर को
मर्द को कब दर्द होता, सर्द मौसम दिल गरम
आजमाते हैं हमेशा हालतों को, दौर को
९.१२.२०१६
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शब्दों का जादू हिंदी में अमित सृजन कर देखो ना
छन्दों की महिमा अनंत है इसको भी तुम लेखो ना
पढ़ो सीख लिख आत्मानंदित होकर सबको सुख बाँटो
मानव जीवन कि सार्थकता यही 'सलिल' अवरेखो ना
१०.१२.२०१६
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