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शनिवार, 10 दिसंबर 2016

muktika, mukatak, taanka

तांका
(५-७-५-७-७ वर्ण) 
*
सूरज बाँका 
झुरमुट से झाँका 
उषा ने आँका
लख रूप सलोना
लिख दिया है तांका
***

*
खोज जारी है 
कौन-कहाँ से आया? 
किसने भेजा? 
किस कारण भेजा?
कुछ नहीं बताया 
*
मुक्तिका 
*
कौन अपना, कहाँ पराया है?
ठेंगा सबने हमें बताया है 
*
वक्त पर याद किया शिद्दत से
बाद में झट हमें भुलाया है
*
पाक दामन रहा दिखाता जो
पंक में वह मिला नहाया है
*
जोड़ लीं दौलतें ज़माने ने
अंत में साथ कुछ न पाया है
*
प्राण जिसमें रहे संजीव वही
श्वास ने सच यही सिखाया है
***
मुक्तक
शब्दों का जादू हिंदी में अमित सृजन कर देखो ना
छन्दों की महिमा अनंत है इसको भी तुम लेखो ना
ढ़ो सिख लिख आत्मानंदित होकर सबको सुख बाँटो
मानव जीवन कि सार्थकता यही 'सलिल' अवरेखो ना
***

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