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गुरुवार, 30 जनवरी 2014

chhand salila: tandav chhand -sanjiv

छंद सलिला :
ताण्डव छंद
संजीव
*
(अब तक प्रस्तुत छंद: अग्र, अचल, अचल धृति, आर्द्रा, आल्हा, इंद्रवज्रा, उपेन्द्रवज्रा, कीर्ति, घनाक्षरी, छवि, ताण्डव, तोमर, दीप, दोधक, निधि, प्रेमा, मधुभार,माला, वाणी, शक्तिपूजा, शाला, शिव, शुभगति, सार, सुगति, सुजान, हंसी)
तांडव रौद्र कुल का बारह मात्रीय छंद है जिसके हर चरण के आदि-अंत में लघु वर्ण अनिवार्य है.

उदाहरण:

१. भर जाता भव में रव, शिव करते जब ताण्डव
   शिवा रहित शिव हों शव, आदि -अंत लघु अभिनव
   बारह आदित्य मॉस राशि वर्ण 'सलिल' खास
   अधरों पर रखें हास, अनथक करिए प्रयास

२. नाश करें प्रलयंकर, भय हरते अभ्यंकर
   बसते कंकर शंकर, जगत्पिता बाधा हर
   महादेव हर हर हर, नाश-सृजन अविनश्वर 
   त्रिपुरारी उमानाथ, 'सलिल' सके अब भव तर

३. जग चाहे रहे वाम, कठिनाई सह तमाम
   कभी नहीं करें डाह, कभी नहीं भरें आह
   मन न तजे कभी चाह, तन न तजे तनिक राह
   जी भरकर करें काम, तभी भला करें राम

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2 टिप्‍पणियां:

Kusum Vir ने कहा…

Kusum Vir द्वारा yahoogroups.com

आपकी काव्य प्रतिभा को नमन, आ० आचार्य जी l
अशेष सराहना के साथ,
कुसुम

sanjiv ने कहा…

​कुसुम जी
आपको हृदय से धन्यवाद ​