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रविवार, 5 नवंबर 2017

naye chhand- 25, 26, 27, 28

हिन्दी के नए छंद २५, २६, २७, २८
हिन्दी के नए छंद २५
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प्रस्तुत छंद के समान मात्रिक-वर्णिक पदभार गति-यति युक्त छंद यदि आपने पढ़े हों तो कृपया, उनका सन्दर्भ, विधान व उदाहरण salil.sanjiv@gmail.com पर भेजें।
नव रचनाकार इन छंदों का अभ्यास करें।
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कहेगा-सुनेगा हमारा फ़साना, हमेशा ज़माना कहो जाने-जां।
नहीं भौंह तानो, न रूठो, न मानो, मिलेगा मजा भी सुनो जाने-जां।।
ज़रा पास आओ, नहीं दूर जाओ, गले से लगाओ-लगो जाने-जां।
नहीं जान देना, नहीं जान लेना, सदा साथ होना, हमें जाने-जां।।
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हिन्दी के नए छंद २६
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प्रस्तुत छंद के समान मात्रिक-वर्णिक पदभार गति-यति युक्त छंद यदि आपने पढ़े हों तो कृपया, उनका सन्दर्भ, विधान व उदाहरण salil.sanjiv@gmail.com पर भेजें।
नव रचनाकार इन छंदों का अभ्यास करें।
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न जाओ, न जाओ, बुलाएँ-बिठाएँ, गले से लगाएँ, पुकारें सितारे।
चलो! नील आकाश देखें-निहारें, कहाँ थे?, कहाँ हैं?, निहारें सितारे।।
न भूलो, न भागो, न भोगो, न त्यागो, रहो साथ यारों! सिखाएँ सितारे
न गली, न दंगा, न वादा, न पंगा, न छीनें, न फेंकें, लुभाएँ सितारे।।
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हिन्दी के नए छंद २७
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प्रस्तुत छंद के समान मात्रिक-वर्णिक पदभार गति-यति युक्त छंद यदि आपने पढ़े हों तो कृपया, उनका सन्दर्भ, विधान व उदाहरण salil.sanjiv@gmail.com पर भेजें।
नव रचनाकार इन छंदों का अभ्यास करें।
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न पौधे लगाएँ, न पानी पिलाएँ, न पीड़ा मिटाएँ, करें वोट की माँग।
गरीबी मिटी क्या?, अशिक्षा हटी क्या?, कुरीती तजी क्या?, धरे संत का स्वाँग।।
न भूषा, न भाषा, निराशा-हताशा, न बाकी सुआशा, न छोड़ें अड़ी टाँग।
न लेना, न देना, चबाओ चबेना, भगा दो- भुला दो, पिला दो इन्हें भाँग।।
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हिन्दी के नए छंद २८
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प्रस्तुत छंद के समान मात्रिक-वर्णिक पदभार गति-यति युक्त छंद यदि आपने पढ़े हों तो कृपया, उनका सन्दर्भ, विधान व उदाहरण salil.sanjiv@gmail.com पर भेजें।
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कहाँ वो छिपेगी?, कहीं तो मिलेगी, कभी तो मिलेगी, हसीना लुभाए जो।
छलावा-भुलावा?, नहीं वो दिखावा, अदाएँ हजारों, दिखाती-सुहाती जो।।
गुलाबी-गुलाबी, शराबी-शराबी, नशीली-नशीली सूरा सी पिलाती हो।
न भूला उसे मैं, न भूली मुझे वो, भले बाँह में ले, गले ना लगाती हो।।
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salil.sanjiv@gmail.com, ७९९९५५५९६१८
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शनिवार, 4 नवंबर 2017

naye chhand 24

हिन्दी के  नए छंद २४ 
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प्रस्तुत छंद के समान मात्रिक-वर्णिक पदभार गति-यति युक्त छंद यदि आपने पढ़े हों तो कृपया, उनका सन्दर्भ, विधान व उदाहरण salil.sanjiv@gmail.com पर भेजें। 
नव रचनाकार इन छंदों का अभ्यास करें। 
मिटाया अँधेरा, उअगाया सवेरा, उषा ने जलाया, नया दीप आ। 
नहीं देर से आ, नहीं शीघ्र जाता, न माँगे मजूरी कभी सूर्य दा।।
न तो धूप भागे, नहीं छाँव माँगे, न छोड़े अधूरा, कभी काम को-
हुई साँझ बैठो, किया क्या? न लेखो, करो काम पूरा भले रात हो।।
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salil.sanjiv@gmail.com, ७९९९५५५९६१८
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naye chhand 23

हिन्दी के  नए छंद २३ 
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प्रस्तुत छंद के समान मात्रिक-वर्णिक पदभार गति-यति युक्त छंद यदि आपने पढ़े हों तो कृपया, उनका सन्दर्भ, विधान व उदाहरण salil.sanjiv@gmail.com पर भेजें। 
नव रचनाकार इन छंदों का अभ्यास करें। 
चलें, आ अकेले, लगाना न मेले, न होंगे झमेले, चलें आ चलें। 
बढ़ेंगे वही जो चलेंगे-गिरेंगे, उठेंगे-बढ़ेंगे, चलें आ चलें।।
मिलेंगे उन्हीं से, न जो गैर हैं, जो रहे साथ देते हमेशा खड़े ।
कहेंगे कहानी, न बातें बनानी, बचे छंद लाखों चलो भी लिखें।।
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salil.sanjiv@gmail.com, ७९९९५५५९६१८
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naye chhand 22

हिन्दी के  नए छंद २२ 
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प्रस्तुत छंद के समान मात्रिक-वर्णिक पदभार गति-यति युक्त छंद यदि आपने पढ़े हों तो कृपया, उनका सन्दर्भ, विधान व उदाहरण salil.sanjiv@gmail.com पर भेजें। 
नव रचनाकार इन छंदों का अभ्यास करें। 
कहेगा कहानी जमाना जुबानी, करो काम ऐसा उठो वानर। 
नहीं तुच्छ हो रे!, महावीर हो अंजनी-वायु के पुत्र हो वानर।।
छलाँगें लगाओ, उड़ो वायु में भी, न हारो करो पार रे! सागर।
सिया खोज आओ, सभी को बचाओ, यशस्वी बनाओ रे! वानर।।  
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hindi ke naye chhand 21

हिन्दी के  नए छंद २१  
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प्रस्तुत छंद के समान मात्रिक-वर्णिक पदभार गति-यति युक्त छंद यदि आपने पढ़े हों तो कृपया, उनका सन्दर्भ, विधान व उदाहरण salil.sanjiv@gmail.com पर भेजें। 
नव रचनाकार इन छंदों का अभ्यास करें। 
कभी तो बुलाते, सुनाते-लुभाते, गले से लगाते हमें नेता। 
ने वादे निभाते, धता क्यों बताते?, लुकाते-छिपाते, ठगें नेता।।
चुनावी अदाएँ, न भूलें-भुलाऍ, सदा झूठ बोलें, छली नेता।
न कानून जाने, नहीं सत्य माने, नहीं काम आते बली नेता।।  
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baal kavita

बाल रचना:
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लालू बन्दर ने कहा: 'काटो मेरे बाल'.
बेढब माँग सुनी हुए, शेषपाल जी लाल.
शेषपाल जी लाल, 'समझते हो क्या नउआ'?
बोला बन्दर 'अगर नहीं तो क्या कनकउआ?
बाल-पृष्ठ पर कर रहा, आज दान मैं बाल.
लिए नहीं तो लाऊँगा पल भर में भूचाल.'
अगर यहाँ साहित्य, सहित हित बाल दान लो.
जितना हित करना उतना ही नगद दान दो'
सिर पकड़े बैठे दद्दू सुन-सुन कर ताने.
'इससे बेहतर चला जाऊँ चुप पागलखाने'.
सुना लालू बोला 'जाओ तुम अभी जहन्नुम.
लेकर बाल नगद दो मुझको होगा उत्तम'.
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doha

शब्द 
शब्द करें नि:शब्द यदि, रहें समाहित भाव।
शब्द करें स्तब्ध यदि, निहित न उनमें चाव।।
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शब्द बनें मरहम कभी, कभी लगाते घाव।
शब्द चुनौती दे रहे, शब्द लगाते दाँव
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शब्द मरे को जिलाते, शब्द दिलाते जीत
शब्द जिए को मारते, शब्द बढ़ाते प्रीत
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शब्द नमन-वंदन बनें, शब्द बने भुजहार
शब्द नदी जलधार हैं, शब्द नाव-पतवार
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शब्द अक्षरों से बनें, शब्द बनाते वाक्य
शब्द राम-रावण-सिया, शब्द सुजाता-शाक्य
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शुक्रवार, 3 नवंबर 2017

दोहा सलिला

सामयिक दोहे
लोकतंत्र की माँग है, सकल देश हो एक.
जनप्रतिनिधि सेवक बने, जाग्रत रखे विवेक.
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जनसेवक कि क्यों मिले, नेता भत्ता आज.
आम आदमी बन रहे, क्यों आती है लाज?
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दल-दलबंदी बंद हो, हो न व्यर्थ तकरार.
राष्ट्रीय सरकार हो, संसद जिम्मेदार.
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देश एक है, प्रान्त हैं, अलग-अलग पर संग.
भाषा-भूषा-सभ्यता, भिन्न न दिल हैं तंग.
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निर्वाचन हो दल रहित, काबलियत आधार.
उत्तम जन प्रतिनिधि करें, सेवा तज व्यापार.
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हर विचार के श्रेष्ठजन, बना सकें सरकार.
शेष समर्थक साथी हों, तज विरोध-व्यापार.
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राज्य-केन्द्र में विविध दल, काम करें संग-साथ.
करें देश-निर्माण मिल, मिला हाथ से हाथ.
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मात्र एक दल की नहीं, बने सभी सरकार.
मतदाता जाग्रत रहे, सजा यहीं दरकार.
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