कुल पेज दृश्य

मंगलवार, 12 अप्रैल 2011

राम नवमी पर विशेष लोक भजन : स्व. शांति देवी वर्मा

राम नवमी पर विशेष लोक भजन : स्व. शांति देवी वर्मा
अवध में जन्में हैं श्री राम
अवध में जन्में हैं श्री राम, दरश को आए शंकरजी...
*
कौन गा रहे?, कौन नाचते?, कौन बजाएं करताल?
दरश को आए शंकरजी...
*
ऋषि-मुनि गाते, देव नाचते, भक्त बजाएं करताल.
दरश को आए शंकरजी...
*
अंगना मोतियन चौक है, द्वारे हीरक बन्दनवार.
दरश को आए शंकरजी...
*
मलिन-ग्वालिन सोहर गायें, नाचें डे-डे ताल.
दरश को आए शंकरजी...
*
मैया लाईं थाल भर मोहरें, लो दे दो आशीष.
दरश को आए शंकरजी...
*
नाग त्रिशूल भभूत जाता लाख, डरे न मेरो लाल
दरश को आए शंकरजी...
*
बिन दर्शन हम कहूं न जैहें, बैठे धुनी रमाय.
दरश को आए शंकरजी...
*
अलख जगाये द्वार पर भोला, डमरू रहे बजाय.
दरश को आए शंकरजी...
*
रघुवर गोदी लिए कौशल्या, माथ डिठौना लगाय.
दरश को आए शंकरजी...
जग-जग जिए लाल माँ तेरो, शम्भू करें जयकार.
दरश को आए शंकरजी...
*********** 
बाजे अवध बधैया
बाजे अवध बधैया, हाँ हाँ बाजे अवध बधैया...
मोद मगन नर-नारी नाचें, नाचें तीनों मैया.
हाँ-हाँ नाचें तीनों मैया, बाजे अवध बधैया..
मातु कौशल्या जनें रामजी, दानव मार भगैया
हाँ हाँ दानव मार भगैया बाजे अवध बधैया...
मातु कैकेई जाए भरत जी, भारत भार हरैया
हाँ हाँ भारत भार हरैया, बाजे अवध बधैया...
जाए सुमित्रा लखन-शत्रुघन, राम-भारत की छैयां
हाँ हाँ राम-भारत की छैयां, बाजे अवध बधैया...
नृप दशरथ ने गाय दान दी, सोना सींग मढ़ईया
हाँ हाँ सोना सींग मढ़ईया, बाजे अवध बधैया...
रानी कौशल्या मोहर लुटाती, कैकेई हार-मुंदरिया
हाँ हाँ कैकेई हार-मुंदरिया, बाजे अवध बधैया...
रानी सुमित्रा वस्त्र लुटाएं, साडी कोट रजैया
हाँ हाँ साडी कोट रजैया, बाजे अवध बधैया...
विधि-हर हरि-दर्शन को आए, दान मिले कुछ मैया
हाँ हाँ दान मिले कुछ मैया, बाजे अवध बधैया...
'शान्ति'-सखी मिल सोहर गावें, प्रभु की लेनी बलैंयाँ 
हाँ हाँ प्रभु की लेनी बलैंयाँ, बाजे अवध बधैया...
***********

3 टिप्‍पणियां:

www.navincchaturvedi.blogspot.com ने कहा…

स्व. शांति देवी वर्मा जी की लेखनी से परिचय करवाने के लिए बहुत बहुत आभार सलिल जी

Yograj Prabhakar ने कहा…

आदरणीय आचार्य संजीव सलिल जी,
सादर प्रणाम !

मेरे शहर पटिआला में भी श्री राम नवमी बड़े धूम धाम से मनाई जाती है ! पूरे शहर में बहुत ही भव्य शोभा यात्रा भी निकली जाती है जिसमे भगवान् राम के जीवन से जुड़ी अनेक झाकियां शामिल होती हैं ! भक्तगण बैंड बाजे के साथ पूरे हर्षोल्लास से भजन कीर्तन करते और नाचते हुए तकरीबन पूरे शहर का चक्कर लगाते हैं ! सुबह से प्रारम्भ हुई यात्रा देर शाम तक को विराम पाती है !

हर साल की तरह इस साल भी हमारे एरिया का एक जत्था हमारे घर चंदा लेने पहुंचा ! चंदा लेने के बाद उन्होंने इसरार किया कि मैं उन्हें शोभा यात्रा के लिए एक बिलकुल नया राम भजन लिख कर दूँ ! कुछ और ना सूझता देख मैंने उन्हें पूज्य माता जी के इस भजन का प्रिंट-आउट निकाल कर दे दिया जिसे पाकर वे सब लोग बहुत खुश हुए ! क्योंकि चाय-नाश्ते का दौर अभी ख़त्म नही हुआ था तो उनके एक भजन गायक ने तुरंत ही इस भजन को एक सुन्दर सी धुन दे दी तथा मेरे स्टडी टेबल को ढोलकी बना वहीँ गाना शुरू कर दिया ! विश्वास करें कि उस भजन की धुन तथा उस जत्थे के सामूहिक गान ने वो समा बाँधा, वो समा बाँधा कि पूछें मत !

मेरा ११ साल का भतीजा रोबिन जो इस शोभा यात्रा में शामिल था उसने बताया कि इस भजन को पूरे आयोजन के दौरान पूरे जोश-ओ-खरोश के साथ गाया जाता रहा ! माता जी के इस दिव्य प्रसाद ने पटिआला नगरी को भी धन्य कर दिया ! माता जी की गोलोकवासी आत्मा को मेरा शत शत प्रणाम और आपको कोटिश धन्यवाद इतने रसीले और भावपूर्ण भजन से रू-ब-रू करवाने के लिए ! सादर !

योगराज प्रभाकर

S N Sharma ने कहा…

आ० आचार्य जी ,
राम नवमी पर श्री रामजन्म के दोनों भजन मुग्ध कर गये |
स्व० शान्ति देवी को विशेष श्रद्धा-नमन | आपने उनका परिचय
नहीं दिया | संभवतः आपकी .... माँ क्या ?
सादर,
कमल