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रविवार, 9 जुलाई 2023

सोनेट, अज्ञान वंदना

 सोनेट 

अज्ञान वंदना 
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ज्ञान न मिले प्रयास बिन, मिले आप अज्ञान।
व्यर्थ वंदना प्रार्थना, चल न साधना-राह।   
पढ़ना-लिखना क्यों कहो, खा पी मस्त सुजान।।
कभी न कर सत्संग मन, पा कुसंग कर वाह।। 

नित नव करें प्रपंच हँस, कभी नहीं सत्संग। 
खा-पी जी भर मौज कर, कभी न कुछ भी त्याग। 
भोग लक्ष्य कर योग तज, नहीं नहाना गंग।। 
प्रवचन कीर्तन हो जहाँ, तुरत वहाँ से भाग।। 

सुरापान कर कर्ज ले, करना अदा न जान। 
द्यूत निरंतर खेलना, चौर्य कर्म ले सीख।  
तज विनम्रता पालकर, निज मन में अभिमान।। 
अपराधी सिरमौर बन, दुष्ट-रत्न तू दीख।।

वंदन कर अज्ञान का, मूर्खराज का ताज। 
सिर पर रख ले बेहया, बन निर्लज्ज न लाज।। 
८-७-२०२३ 
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