दोहा सलिला :
बुंदेली दोहा
*
का भौ काय नटेर रय, दीदे मो खौं देख?
कई-सुनी बिसरा- लगा, गले मिटा खें रेख.
*
बऊ-दद्दा खिसिया रए, कौनौ धरें न कान
मौडीं-मौड़ां बाँट रय, अब बूढ़न खें ज्ञान.
*
९-९-२०१४
दिव्य नर्मदा : हिंदी तथा अन्य भाषाओँ के मध्य साहित्यिक-सांस्कृतिक-सामाजिक संपर्क हेतु रचना सेतु A plateform for literal, social, cultural and spiritual creative works. Bridges gap between HINDI and other languages, literature and other forms of expression.
कुल पेज दृश्य
गुरुवार, 9 सितंबर 2021
सदस्यता लें
टिप्पणियाँ भेजें (Atom)
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें