मुक्तक
संजीव
*
मॉर्निंग नून ईवनिंग नाइट
खुद से करते हैं हम फाइट
रौंग लग रहा है जो हमको
उसे जमाना कहता राइट
*
आते अच्छे दिन सुना
गुड डे कह हम मस्त
गुंडे मिलकर छेड़ते
गुड्डे-गुड्डी त्रस्त
*
७-९-२०१४
दिव्य नर्मदा : हिंदी तथा अन्य भाषाओँ के मध्य साहित्यिक-सांस्कृतिक-सामाजिक संपर्क हेतु रचना सेतु A plateform for literal, social, cultural and spiritual creative works. Bridges gap between HINDI and other languages, literature and other forms of expression.
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